Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रियदर्शिनी टीका अ० १ मा ३२-३३ एषणासमिति विधिः
સ
प्रक्षितादिदोपान्वेपणात्मिका दत्तपणा ता, चरेत्=आसेवेत । अनेन ग्रहणैपणा सूचिता । किं कृत्वा दत्तेपणां चरेदित्याह-' पडिरूवेण ' इत्यादि । प्रतिरूपेण मुनिवेषेण, वद्धसदोरकमुखवत्रिकत्व, रजोहरणपानधारकत्व, श्वेतपत्र परिधायकत्व च मुनिवेपस्तेन, एपित्वा = गवेपयित्वा अनेन उद्गमोत्पादनाविषया गवेपणैपणा प्रोक्ता । मित=परिमित कालेन - काले- आगमोक्तसमये देशकालानुसारेण भक्षयेत् भुञ्जीत । अनेनाभ्यवहरणविषया ग्रासैपणाऽऽवेदिता ।
अन 'परिवाडीए न चिट्ठेज्जा' इत्यनेन अप्रीतिः, रसलोलुपतावर्जनं च सूचितम् । ' दतैसण' इत्यनेनादत्तादाननिवृत्तिः सूचिता । 'पडिरूवेण ' इत्यनेन निष्कपटता प्रदर्शिता । ' मिय ' इत्यनेनाधिकभोजन निवृत्तिरावेदिता ॥ ३२ ॥ गहस्थद्वारा प्रदत्त दान में शङ्कित, म्रक्षित आदि दोषों की गवेषणा रूप दत्तेपणा अर्थात् ग्रहणपणा का ध्यान रखे। (पडिरुवेण - प्रतिरूपेण ) प्रतिरूपसे - मुनि के वेप से मुख पर दोरासहित मुहपत्ति बांधना. रजोहरण एवं पात्रों का धारण करना, यह मुनिवेष है इस वेप से ( एसित्ता - एपित्वा) गवेषणा कर (कालेण - कालेन ) आगमन में कथित समयमें देश काल के अनुसार समय पर मिले हुए अन्न आदिका (मियमित) परिमित (भक्खए-भक्षेत्) आहार करे । 'एसित्ता एपित्वा' इस पद से उद्गम, उत्पादन आदि दोपों से वर्जित गवेपणेपणा, तथा 'भुञ्जीत' इस क्रियापद द्वारा ग्रासपणा प्रकट की गई है । 'परिवाडीए न चिट्टेजा' इस पद् द्वारा अप्रीति एव रस मे लोलुपताका परिहार सूचित हुआ है । 'दत्तेसण' से अदत्तादान से निवृत्ति, 'पडिरूवेण' से निष्कपटता, 'मिय' इस से अधिक भोजनकी निवृत्ति सूचित की गई है ॥ ३२ ॥
इतैषा अर्थात् श्रडुषचानु ध्यान राजे पढिरूवेण - प्रतिरूपेण प्रति३५था-भुनिना વેશથી મેઢા ઉપર દોરાસહિત મુહપત્તિ માધવી, રોહરણુ તથા પાત્રોનુ ધારણ ४२५ तथा शुद्ध वस्त्रोने धारण ४२वा मे भुनिवेश हे या वेशने, एसित्ताएपित्वा धार उरी, काळेण कालेन यागभनी उहेसा सभयभा देश अण सभय अनु सार सभय उपर भणेला भन्न साहिने। मिय-मित परिमित भए भक्षयेत् माहार ४. एसित्ता - एपित्वा मे पहथी उद्गम, उत्पादन आहि होपोथी व गवेषशेष તથા “ જી જીત ” આ ક્રિયા પદ દ્વારા ગ્રાતૈષણા પ્રગટ કરવામા આવેલ છે परिवाडी ए न चिट्ठेज्जा भी यह द्वारा अप्रीति भेव रसभा सोलुपताना પરિહાર સૂચિત થયેલ છે ત્તસળ આ પદથી અદત્તાદાનની નિવૃત્તિ, સૂચિત ४२वाभा भावी छे पडिरूवेण मा पहथी निष्ठुपटता सूचित करे छे मिय એ પદથી અધિક લેાજનની નિવૃત્તિ સુચવવામા આવેલ છે. (૩૨)