________________ ANS) र द्वितीय-प्रस्ताव ... इस भरत क्षेत्रके वैताढ्य पर्वतपर उत्तर श्रेणीके अलङ्कारके समान रथनूपुर चक्रवाल नामका नगर है। उसमें ज्वलनजटी नामक विद्याधर राजा राज्य करता था। उसकी पत्नीका नाम वायुवेगा था। उसीके गर्भसे उत्पन्न, अर्क (सूर्य) द्वारा स्वप्नमें सूचित किया हुआ, अर्ककीर्ति नामका एक पुत्र भी उस राजाके था। वह जब युवावस्थाको प्राप्त हुआ, तब राजाने उसे युवराजके पदपर प्रतिष्ठित किया। इसके बाद उस राजा को चन्द्रमाकी रेखाके उत्तम स्वप्नसे सूचित एक पुत्री हुई, जिसका नाम स्वयंप्रभा रखा गया। क्रमशः वह बालिका बड़ी होने लगी। एक समयकी बात है, कि उस नगरके उद्यानमें अभिनन्दन और जगतनन्दन नामक दो श्रेष्ठ विद्याधर मुनि आ पहुँचे। उन्हीं लोगोंके पास आकर स्वयंप्रभाने धर्मदेशना सुनी और शुद्ध समाचारी सहित श्राविका हो गई। इसके बाद वे दोनों मुनिश्रेष्ट वहाँले अन्यत्र विहार कर गये। एक दिन स्वयंप्रभाने किसी पर्वदिवसको पौषध व्रत ग्रहण किया। शुद्ध रीतिसे पौषध-व्रतका पालनकर पारणाके दिन, प्रातकाल ही गृहप्रतिमाका पूजनकर, उस बालिकाने. पिताके पास जाकर उन्हें शेषा* अर्पित की / राजाने उसे सिरपर चढ़ाकर कन्याको अपनी गोद में बैठा लिया। उसका रूप और वयस देख राजा मनही-मन-विचार कर करने लगे,-"देखता हूँ कि मेरी यह कन्या विवाह करने योग्य होगई, तो फिर इसके योग्य कौनसा घर हो सकता है ? कहा है कि * न्हवणजल / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust