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नियमसार - प्राभूतम्
प्रतिपादितं भवतीति चतुःषद्विगाथासूत्रैस्त्रयोऽन्तराधिकारा गताः ।
इति श्रीभगवरकुन्दकुन्दाचार्य प्रणीत नियमसारप्राभृतग्रन्थे ज्ञानमत्याधिकाकृत 'स्याद्वावचन्द्रिका 'नाटीकायां निश्चयमोक्षमार्ग महाधिकारमध्ये निश्चयप्रत्याख्याननामा षष्ठोऽधिकारः समाप्तः ।
इति श्री नियमसारप्राभूतस्य पूर्वाधं समाप्तम् ।
किया गया है । इस प्रकार चार, छह और दो गाथाओं द्वारा ये तीन अंतराधिकार पूर्ण हुए हैं।
इस प्रकार भगवान् श्री कुन्दकुन्दाचार्यप्रणीत "नियमसार प्राभृत" ग्रंथ में ज्ञानमती आकिकृत स्याद्वादचन्द्रिका नामक टीका में 'वर्ग' महाधिकार के अंतर्गत 'निश्चयप्रत्याख्यान' नाम का यह छठा अधिकार पूर्ण हुआ ।
इस प्रकार नियमसार प्राभृत का पूर्वार्ध समाप्त हुआ ।