________________
विषय
२०७ आत्मा के सिवाय अन्यत्र अपरिणमन
• २१ द्रव्यलेश्या और स्थान
२२ द्रव्यलेश्या की स्थिति
* २३ द्रव्यलेश्या और भाव
२४ द्रव्यलेश्या और अंतरकाल
* २५ तपोलब्धि से प्राप्त तेजोलेश्या की पौद्गलिकता ; भेद ; प्राप्ति के उपाय ; घात -- भस्म करने की शक्ति ; श्रमण-निर्ग्रन्थ और देवताओं की तेजोलेश्या की तुलना
* २६ द्रव्यलेश्या और दुर्गति-सुगति
* २७ द्रव्यलेश्या के छः भेद तथा पाँच ( पुद्गल ) वर्ण
२८ द्रव्यलेश्या और जीव के उत्पत्ति-मरण के नियम
• २६ द्रव्यलेश्या के स्थानों का अल्पबहुत्व
. ३ द्रव्यलेश्या ( विस्रसा - अजीव - नोकर्म ) द्रव्यलेश्या नोकर्म के भेद
'३१
• ३.२
सरूपी सकर्मलेश्या का अवभास यावत् प्रभास करना
• ३३
सूर्य की लेश्या का शुभत्व
• ३४
सूर्य की लेश्या का प्रतिघात - अभिताप
'३५
चन्द्र-सूर्य की लेश्या का आवरण
४
भावलेश्या
४१ भावलेश्या - जीव परिणाम ; भेद ; विविधता
४२ भावलेश्या अवर्णी- अगंधी - अरसी - अस्पर्शी
•४३ भावलेश्या और अगुरुलघुत्व
• ४४ भावलेश्या और स्थान
४५ भावलेश्या की स्थिति
४६ भावलेश्या जीवोदयनिष्पन्न भाव; पाँच भाव
'४७ भावलेश्या के लक्षण
४८ भावलेश्या के भेद
४६
विभिन्न जीवों में लेश्या - परिणाम *४६१ भावपरावृत्ति से छओं लेश्या
Jain Education International
[ 36 ]
For Private & Personal Use Only
पृष्ठ
३६
३७
३८
४०
४०
6 ले ढेले हे रे के
४१
४४
४५
४६ - ६०
૪૬
५०
५०
५१
५२
५२-६०
५२
५.३
५३
૪
५५
५५
५७
५८
५६
www.jainelibrary.org