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लेश्या - कोश
लाक में तीन लेश्या होती है- यथा, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या, शुक्ललेश्या ।
ख - बकुस में :--
एवं बससवि ।
बस में पुलाक की तरह तीन लेश्या होती है ।
- प्रतिसेवना कुशील में :
एवं पडिसेवणाकुसीलेवि ।
ग—
- भग० श २५ | उ ६ । प्र८६ | पृ० ८८२
- भग० श २५ । उ ६ । प्र ८ । पृ० ८८२
प्रतिसेवना कुशील में भी पुलाक की तरह तीन लेश्या होती है । नोट :- तत्त्वार्थ के भाष्य में बकुस और प्रतिसेवना कुशील में ६ लेश्या बताई है । कुश प्रतिसेवनाकुशीलयोः सर्वाः षडपि ।
–तत्त्व अ ६। सू ४६ । भाष्य | पृ० ४३५
घ- कषाय कुशील में :
कसायकुसीले पुच्छा । गोयमा ! सलेस्से होज्जा णो अलेस्से होज्जा, जइ सलेस्से होज्जा से णं भंते! कइसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! छसु लेस्सासु होजा, तंजहा, कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए ।
-भग० श २५ । उ ६ । प्र ६० | पृ० ८८२
कषाय कुशील में छः लेश्या होती है ।
नोट :- तत्त्वार्थ भाष्य में कषाय कुशील में तीन शुभलेश्या बताई है ।
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- तत्त्व० अ ६ | सूत्र ४६ | भाष्य । पृ० ४३५
ड-निर्ग्रन्थ में :--
नियंठे णं भंते! पुच्छा । गोयमा ! सलेस्से होज्जा, णो अलेस्से होज्जा । जइ सलेस्से होज्जा, से णं भंते! कइसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! एगाए सुक्कलेस्साए होज्जा |
- भग० श २५ । उ ६ । प्र ६१ । पृ० ८८२
निर्ग्रथ में एक लेश्या होती है। 1
च - स्नातक में : ---
सिणाए पुच्छा । गोयमा ! सलेस्से वा होज्जा, अलेक्से वा होज्जा, जइ सस्से होज्जा से णं भंते! कइसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! एगाए परमसुक्कलेस्साए होज्जा ।
-भग० श २५ । उ ६ । प्र ६२ । ८८२
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