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लेश्या-कोश तेण?णं गोयमा! एवं वुच्चइ-असुरकुमाराणं सव्वे णो समवन्ना। एवं लेस्साएवि xxx एवं जाव थणियकुमारा।
-पण्ण० प १७ । उ१ । सू ७ । पृ० ४३५ (ख) ( असुरकुमारा) जहा नेरइया तहा भाणियव्वा, नवरं-कम्म-वण्णलेस्साओ परिवण्णेयवाओ पूवोववण्णा महाकम्मतरा, अविसुद्धवण्णतरा, अविसुः द्धलेसतरा, पच्छोववण्णा पसत्था, सेसं तहेव । एवं जाव-थणियकुमाराणं ।
-भग० श १ । उ २ । प्र८३ । पृ० ३६२ असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार दसों भवनवासी देव-समलेश्या वाले नहीं हैं क्योंकि उनमें जो पूर्वोपपन्नक हैं वे अविशुद्धलेश्यावाले होते हैं, तथा जो पश्चादुपपन्नक हैं वे विशुद्धलेश्या वाले होते हैं। अतः असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार-दसों भवनवासी देव समलेश्या वाले नहीं होते हैं।
२-वाणव्यंतर, ज्योतिषी, वैमानिक देव में :क-वाणमंतरजोइसवेमाणिया जहा असुरकुमारा।
-भग० श १ । उ २ । प्र६६ । पृ० ३६३ ख-वाणमंतराणं जहा असुरकुमाराणं । एवं जोइसियवेमाणियाणवि ।
पण्ण० ५० १७ । ३१ । सू० १० । पृ० ४३७ वाणव्यंतर-ज्योतिष-वैमानिक देव भवनवासी देवों की तरह समलेश्यावाले नहीं होते हैं।
.५७ लेश्या और जीव का उत्पत्ति-मरण '५७.१ लेश्या-परिणति तथा जीव का उत्पत्ति-मरण :
लेसाहिं सव्वाहिं, पढमे समयम्मि परिणयाहि तु। न हु कस्सइ उववाओ, परेभवे अस्थि जीवस्स ।। लेस्साहिं सव्वाहिं चरिमे, समयम्मि परिणयाहिं तु । न हु कस्सइ उववाओ, परेभवे होइ जीवस्स ।। अंतमुहुत्तम्मि गए, अंतमुत्तम्मि सेसए चेव । लेसाहिं परिणयाहिं, जीवा गच्छन्ति परलोयं ।।
-उत्त० अ ३४ । गा ५५-६० । पृ० १०४८ सभी लेश्याओं की प्रथम समय की परिणति में किसी भी जीव की परभव में उत्पत्ति नहीं होती। सभी लेश्याओं की अन्तिम समय की परिणति में किसी भी जीव की परभव
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