Book Title: Leshya kosha Part 1
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan
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लेश्या-कोश
२७६ (ख) नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जइ अनेरइए नेरइएसु उववज्जइ ? पन्नवणाएं लेस्सापए तइओ उद्देसओ भाणियव्वो जाव नाणाई।
-भग० श ४ | उ ६ । पृ० ४६८ प्रज्ञापना लेश्या पद १७, उद्देशक ३ की भुलावण ।
(ग) से नूणं भंते ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए तावण्णत्ताए एवं चउत्थो उद्दसओ पन्नवणाए चेव लेस्सापए नेयव्वो जाव
परिणामवण्णरसगंध सुद्ध अपसत्थ संकिलिट् ठुण्हा । गइपरिणामपदेसोगाहणवग्गणा ठाणमप्पबहुं ॥
-भग० श ४ । उ १० । पृ० ४६८ प्रज्ञापना लेश्या पद १७, उद्देशक ४ की भुलावण।
(घ) इमीसे गं भंते ! रयणपभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु असंखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं केवइया नेरक्या उववज्जति जाव केवइया अणागारोवउत्ता उववज्जंति । xxx नाणत्त लेस्सासु लेस्साओ जहा पढमसए ।
-भग० श १३ । उ १ । प्र ७ । पृ० ६७८ भगवती श १ । उ २ । प्र६८ की भुलावण । उसमें प्रज्ञा पना लेश्या पद १७, उद्देशक २ की भुलावण।
(च) कइ णं भंते ! लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! छल्लेसाओ पन्नत्ताओ, तंजहा-एवं जहा पण्णवगाए चउत्थो लेसुद्द सओ भाणियव्वो निरवसेसो।
-भग० श १६ । उ १ । पृ० ७८१ प्रज्ञापना लेश्यापद १७ के चतुर्थ उद्देशक की भुलावण ।
(छ) कइ णं भंते ! लेस्साओ प० १ एवं जहा पन्नवणाए गन्भुद सो सो चेष निरवसेसो भाणियव्यो।
-भग० श १६ । उ २ | पृ० ७८१ प्रज्ञापना लेश्यापद १७ के गर्भ उद्देशक की भुलावण ।
(ज) तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासी-कइ णं भंते ! लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! छ लेस्साओ पन्नत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा जहा पढमसए बिइए उह सए तहेव लेस्साविभागो। अप्पाबहुगं च जाव चउव्विहाणं देवाणं चउव्विहाणं देवीणं मीसगं अप्पाबहुगंति ।
-भग० श २५। उ १। प्र१। पृ० ८५१ भग० श १ । उ २ । प्र६८ की भुलावण ।
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