Book Title: Leshya kosha Part 1
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 324
________________ २८३ लेश्या-कोश का बन्धन होता है। तब बारहवें तथा तेरहवें गुणस्थान में कोई एक जीव ऐसा हो सकता है जिसके लेश्या की अपेक्षा से वेदनीय कर्म का बन्धन रूक जाता है लेकिन योग की अपेक्षा से चालू रहता है। '६६ २५ छूटे हुए पाठ :०४ सविशेषण-ससमास लेश्या शब्द :-- ४७ सूरियसुद्धलेसे -सूय श्रु १ । अ६ । गा १३ । पृ० ११६ ४८ अत्तपसन्नलेसे -उस• अ १२ । गा ४६ | पृ० ६६६ ४६ सोमलेसा -कप्पसु० सू ११७ ; ओव० सू १७ । पृ० ८ ५० अप्पडिलेस्सा _ -ओव० सू १६ । पृ० ७ अध्ययन, गाथा, सूत्र आदि की संकेत सूची प्रश्न प्रति प्रतिपत्ति मा अध्ययन, अध्याय अघि अधिकार उद्देश, उद्देशक गा गाथा चरण चूणी __ चूलिका टीका प्राभूत प्रप्रा प्रतिप्राभूत भा. भाष्य भाग भाग ला ཟླ ༧ ཟླ སྨྲལོ ཝ པ ཕ ཕ ཝཱ ཙྪཱ ཝ ཟློ ཝཱ ཉྙོ མ दशा लाइन वर्ग वार्तिक वृत्ति शतक श्रुतस्कंध श्लोक समवाय सूत्र स्थान प नियुक्ति पद पंक्ति पृष्ठ पैरा श्लो सम पृ० ६. से स्था Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338