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लेश्या-कोश ५८.१८१४ त्रीन्द्रिय से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक-१-६ : त्रीन्द्रिय से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव है ( देखो पाठ ऊपर '५८.१८६) उनमें नौ गमकों में ही तीन लेश्या होती हैं ( देखो '५८१०७)।
-भग० श २४ । उ २० । प्र १०-१२ । पृ० ८३६-४० ५८.१८१५ चतुरिन्द्रिय से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक-१-६ : चतुरिन्द्रिय से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ऊपर '५८१८६ ) उनमें नौ गमकों में ही तीन लेश्या होती हैं ( देखो ५८.१०८)।
-भग० श २४ । उ २० । प्र १०-१२ । पृ० ८३६-४० ५८.१८.१६ असंज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य
जीवों में :
गमक-१-१ : असंज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि से पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजित्तए xxx ते णं भंते ! अवसेसं जहेव पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स असन्निस्स तहेव निरवसेसं, जाव-'भवाएसो'त्ति xxx ग०१। x x x बिइयगमए एस चेव लद्धी-प्र० १५ । ग०२। सो चेव उक्कोसकालट्ठिइएसु उववन्नो xxx ते णं भंते ! जीवा० ? एवं जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स असन्निस्स तहेव निरवसेसं जाव-'कालादेसो'त्ति x x x सेसं तं चेव-प्र० १६ । ग०३। सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओxxx ते णं भंते !-अवसेसं जहा एयस्स पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु तहा इह वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु जाव-'अणुबंधो'त्ति—प्रश्न १७ । ग०४ । सो चेव जहन्नकालटिइएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया xxx-प्र १८ । ग०५ । सो चेव उक्कोसकालटिइएसु उववन्नो xxx एस चेव वत्तव्वया-प्र १६ । ग० ६। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्टिईओ जाओ सच्चेव पढमगमगवत्तव्वया xxx-प्र २० । ग०७ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो, एस चेव वत्तव्यया जहा सत्तमगमए xxx-प्र २१ । ग० ८ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिइएसु उववन्नो, xxx एवं जहा रयणप्पभाए उवजमाणस्स असन्निस्स नवमगमए तहेव निरवसेसं जाव--'कालादेसो' त्ति xxx सेसं तं चेव-प्र २२ । ग०६) उनमें नौ गमकों में ही तीन लेश्या होती है
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