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लेश्या-कोश
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गुणा, पं० ति० तेजोलेशी उनसे संख्यातगुणा, तिर्येच स्त्री तेजोलेशी उनसे संख्यातगुणा, तिर्येच स्त्री कापोतलेशी उनसे संख्यातगुणा, तिर्यच स्त्री नीललेशी उनसे विशेषाधिक, तिर्येच स्त्री कृष्णलेशी उनसे विशेषाधिक, पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक कापोतलेशी उनसे असंख्यातगुणा, पं० ति० नीललेशी उनसे विशेषाधिक तथा पं० ति० कृष्णलेशी उनसे विशेषाधिक होते हैं ।
८६२० तिर्यचयोनिकों तथा पंचेन्द्रिय तिर्यच स्त्रियों में
एएसि णं भंते! तिरिक्खजोणियाणं, तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेसाणं जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ४ १ गोयमा ! जहेव नवमं अप्पाबहुगं तहा इमं पि, नवरं काऊलेसा तिरिक्खजोणिया अनंतगुणा । एवं एए दस अप्पाबहुगा तिरिक्खजोणियाणं |
- पण ० प १७ । उ २ । सू १६ | पृ० ४४० तिचयोनिक तथा गर्भज पंचेंद्रिय तिर्यंच स्त्रियों में कौन-कौन अल्प, बहु, तुल्य अथवा विशेषाधिक है - इस सम्बन्ध में '८६१६ में जैसा कहा वैसा कहना लेकिन कापोतलेशी तिर्यचयोनिक जीव अनंतगुणा कहना ।
टीकाकार ने पूर्वाचार्यों द्वारा उक्त दो संग्रह गाथाओं का उल्लेख किया है(१) ओहियपणिदि संमुच्छिमा य गन्भे तिरिक्ख इथिओ । समुच्छगन्भतिरिया, मुच्छतिरिक्खी य गर्भमि ॥ (२) संमुच्छिमगभइत्थि पणिदि तिरिगित्थीयाओ ओहित्थी । दस अप्पबहुगभेआ तिरियाणं होंति
नायव्वा ॥
(१) औधिक सामान्य तिर्यंच पंचेन्द्रिय, (२) संमूहिम तिर्येच पंचेन्द्रिय, (३) गर्भज तियंच पंचेन्द्रिय, (४) गर्भज तिर्येच पंचेन्द्रिय स्त्री, (५) संमूर्छिम तथा गर्भज तिर्यच पंचेन्द्रिय, (६) संमूर्छिम पंचेन्द्रिय तथा तिर्यच स्त्री, (७) गर्भज तिर्येच पंचेन्द्रिय तथा तिर्येच स्त्री, (८) संमूर्छिम, गर्भज तिर्येच पंचेन्द्रिय तथा तिर्येच स्त्री, (६) पंचेन्द्रिय तिर्यच तथा तिर्यंच स्त्री और (१०) औधिक सामान्य तिर्येच तथा तिर्येच स्त्री । इस प्रकार तिर्यंचों के दस अल्पबहुत्व जानने ।
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एवं मणुस्सा वि अप्पा बहुगा भाणियव्वा, नवरं पच्छिमं (दसं) अप्पाबहुगं नत्थि ।
- पण्ण० प १७ । उ २ । सूत्र १६
यह पाठ पण्णवणा सूत्र की प्रति (क) तथा (ग) में नहीं है लेकिन (ख) में है । टीका में भी है ।
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