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लेश्या-कोश १-कहाँ से उपपात, २--एक समय में कितने का उपपात, ३--सान्तर या निरन्त उपपात, ४–एक ही समय में भिन्न-भिन्न युग्मों की अवस्थिति, ५-किस प्रकार से उपपात, ६-उपपात की गति को शीघ्रता, ७-परभव-आयुष के बंध का कारण, ८-परभवगति का कारण, ६–आत्म या परऋद्धि से उपपात १०-आत्मकर्म या परकर्म से उपपात ११-आत्म-प्रयोग या पर-प्रयोग से उपपात, १२-आत्मयश या आत्म-अयश से उपपात, १३-आत्मयश या आत्म-अयश से उपजीवन, आत्मयश या आत्म-अयश से उपजीवित जीव सलेशी या अलेशी, यदि सलेशी या अलेशी है तो सक्रिय या अक्रिय, यदि सक्रिय या अक्रिय है तो उसी भव में सिद्ध होता है या नहीं।
हमने यहाँ सिर्फ लेश्या सम्बन्धी पाठों का संकलन किया है।]
(रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया गं भंते !) जइ आयअजसं उवजीवंति किं सलेस्सा अलेस्सा ? गोयमा ! सलेस्सा, नो अलेस्सा। जइ सलेस्सा किं सकिरिया अकिरिया ? गोयमा ! सकिरिया, नो अकिरिया । जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणणं सिमंति, जाव अंतं करेंति ? नो इण? सम? (प्र ११, १२, १३) ।
रासीजुम्मकडजुम्मअसुरकुमारा णं भंते ! कओ उववज्जति०१ जहेव नेरइया तहेव निरवसेसं। एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया। नवरं वणस्सइकाइया जाव असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जंति, सेसं एवं चेव (प्र १४)।
(मणुस्सा ) जइ आयजसं उवजीवंति किं सलेस्सा अलेस्सा ? गोयमा ! सलेसा वि अलेक्सा वि । जइ अलेस्सा किं सकिरिया, अकिरिया ? गोयमा ! नो सकिरिया, अकिरिया। जइ अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिमंति, जाव अंतं करेंति ? हंता सिमंति, जाव अंतं करेंति । जइ सलेस्सा कि सकिरिया, अकिरिया ? गोयमा ! सकिरिया, नो अकिरिया। जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झन्ति, जाव अंतं करेंति ? गोयमा ! अत्थेगइया तेणेव भवगहणेणं सिज्झति जाव अंतं करेन्ति, अत्थेगइया नो तेणेव भवग्गहणेणं सिझति, जाव अंतं करेन्ति । जइ आयअजसं उवजीवन्ति किं सलेस्सा अलेस्सा ? गोयमा! सलेस्सा, नो अलेस्सा जइ सलेस्सा किं सकिरिया, अकिरिया ? गोयमा! सकिरिया, नो अकिरिया । जइ सकिरिया तेणेव भवगहणेणं सिमंति, जाव अंतं करेन्ति ? नो इण? सम?। (प्र १६ से २३) वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया ।
-भग० श ४१ । उ १। प्र ११ से २३ । पृ० ६३५-३६ २६
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