________________
लेश्या-कोश
२२७ कण्हलेस्सरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति० १ उववाओ जहा धूमप्पभाए, सेसं जहा पढमुद्दसए। असुरकुमाराणं तहेव, एवं जाव वाणमंतराणं । मणुस्साण वि जहेव नेरइयाणं 'आयअजसं उवजीवंति' । अलेस्सा, अकिरिया, तेणेव भवग्गहणणं सिझति एवं न भाणियव्वं । सेसं जहा पढमुद्दसए ।
कण्हलेस्सतेओगेहि वि एवं चेव उद्दसओ। कण्हलेस्सदावरजुम्मेहिं एवं चेव उद्दसओ।
कण्हलेस्सकलिओगेहि वि एवं चेव उद्देसओ। परिमाणं संवेहो य जहा ओहिएसु उद्दसएसु।
जहा कण्हलेस्सेहिं एवं नीललेस्सेहि वि चत्तारि उद्द सगा भाणियव्वा निरवसेसा । नवरं नेरइयाणं उववाओ जहा वालुयप्पभाए, सेसं तं चेव ।
काऊलेस्सेहि वि एवं चेव चत्तारि उद्दे सगा कायव्वा । नवरं नेरइयाणं उववाओ जहा रयणप्पभाए, सेसं तं चेव ।
तेऊलेस्सरासीजुम्मकडजुम्मअसुरकुमारा णं भंते ! कओ उववजंति०१ एवं चेव । नवरं जेसु तेऊलेस्सा अस्थि तेसु भाणियव्वं । एवं एए वि कण्हलेस्सासरिसा चत्तारि उहे सगा कायव्वा ।
एवं पम्हलेस्साए वि चत्तारि उद्दसगा कायव्वा। पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं वेमाणियाण य एएसिं पम्हलेस्सा, सेसाणं नत्थि।
जहा पम्हलेस्साए एवं सुक्कलेस्साए वि चत्तारि उद्दसगा कायव्वा। नवरं मणुस्साणं गमओ जहा ओहि(य)उद्दसएसु, सेसं तं चेव । एवं एए छसु लेस्सासु चउवीसं उद्दे सगा, ओहिया चत्तारि ।
-भग० श ४१ । उ ५ से २८ । पृ० ६३६-३७ ___ कृष्णलेशी राशियुग्म कृतयुग्म नारकी का उपपात जैसा धूमप्रभा नारकी का कहा वैसा ही समझना। अवशेष प्रथम उद्देशक की तरह समझना। असुरकुमार यावत् वानव्यंतर देव तक ऐसा ही समझना। मनुष्यों के सम्बन्ध में नारकियों की तरह जानना। वे यावत् आत्म-असंयम का आश्रय लेकर जीते हैं तथा उनके विषय में अलेशी, अक्रिय तथा उसी भव में सिद्ध होते हैं -ऐसा न कहना । अवशेष जैसा प्रथम उद्देशक में कहा वैसा ही कहना । कृष्णलेशी राशियुग्म त्र्योज, कृष्णलेशी राशियुग्म द्वापरयुग्म, कृष्णलेशी राशियुग्म कल्योज इन तीनों नारकी युग्मों के सम्बन्ध में कृष्णलेशी राशियुग्म कृतयुग्म के उद्देशक में जैसा कहा वैसा ही अलग-अलग उद्देशक कहना। लेकिन परिमाण तथा संवेध की भिन्नता जाननी।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org