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लेश्या-कोश
२०७ किं किरियावाई०१ एवं चेव, एवं जहेव पढमुद्दसे नेरइयाणं वत्तव्वया तहेव इह वि भाणियव्या, नवरंजं जस्स अत्थि अणंतरोववन्नगाणं नेरइयाणं तं तस्स भाणियव्वं, एवं सव्वजीवाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं अणंतरोववन्नगाणं जं जहिं अस्थि तं तहिं भाणियव्वं ।
सलेस्सा णं भंते ! किरियावाई अणंतरोववन्नगा नेरइया कि नेरक्याउयं० पुच्छा ? गोयमा! नो नेरक्याउयं पकरेइ (रेंति ) जाव नो देवाउयं पकरेइ, एवं जाव वेमाणिया। एवं सव्वट्ठाणेसु वि अणंतरोववन्नगा नेरक्या न किंचि वि आउयं पकरेइ जाव अणागारोवउत्तत्ति। एवं जाव वेमाणिया नवरं जं जस्स अस्थि तं तस्स भाणियव्वं ।
सलेस्सा णं भंते! किरियावाई अणंतरोववन्नगा नेरड्या किं भवसिद्धिया अभवसिद्धिया ? गोयमा ! भवसिद्धिया, नो अभवसिद्धिया, एवं एएणं अभिलावणं जहेव ओहिए उद्दसए नेरइयाणं वत्तव्वया भणिया तहेव इह वि भाणियव्वा जाव अणागारोवउत्तत्ति, एवं जाव माणियाणं नवरं जं जस्स अस्थि तं तस्स भाणियव्वं, इमं से लक्खणं जे किरियावाई सुक्कपक्खिया सम्मामिच्छादिट्ठिया एए सव्वे भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, सेसा सव्वे भवसिद्धिया वि अभवसिद्धिया वि ।
परंपरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया किं किरियावाई० एवं जहेव ओहिओ उद्दसओ तहेव परंपरोववन्नएसु वि नेरक्याईओ तहेव निरवसेसं भाणियध्वं, तहेव तियदंडगसंगहिओ।
एवं एएणं कमेणं जच्चे बंधिसए उद्देसगाणं परिवाडी सच्चेव इहं वि जाव अचरिमो उद्दसओ, नवरं अणंतरा चत्तारि वि एक्कगमगा, परंपरा चत्तारि वि एक्कगमएणं, एवं चरिमा वि, अचरिमा वि एवं चेव नवरं अलेस्सो केवली अजोगी व भन्नइ । सेसं तहेव ।
-भग० श ३० । उ २ से ११ । पृ० ६०६-१० सलेशी अनंतरोपपन्न नारकी चारों मतवाद वाले होते हैं। प्रथम उद्देशक ( ८२.१) में नारकियों के सम्बन्ध में जैसी वक्तव्यता कही वैसी ही वक्तव्यता यहाँ भी कहनी । लेकिन अनंतरोपपन्न नारकियों में जिसमें जो सम्भव हो उसमें वह कहना। इसी प्रकार यावत् वैमानिक देव तक सब जीवों के सम्बन्ध में जानना। लेकिन अनंतरोपपन्न जीवों में जिसमें जो संभव हो उसमें वह कहना। ___क्रियावादी, अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी सलेशी अनंतरोपपन्न नारकी किसी भी प्रकार की आयु नहीं बाँधते हैं। इसी प्रकार यावत् वैमानिक देवों तक कहना। लेकिन जिसमें जो संभव हो उसमें वह कहना।
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