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लेश्या-कोश
१६१ विशुद्धलेशी देव उपयुक्त आत्मा द्वारा अविशुद्धलेशी देव, देवी वा अन्यतर को जानता है, देखता है (६)।
विशुद्धलेशी देव उपयुक्त आत्मा द्वारा विशुद्धलेशी देव, देवी वा अन्यतर को जानता है, देखता है (१०)।
विशुद्धलेशी देव उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा द्वारा अविशुद्धलेशी देव, देवी व अन्यतर को जानता है, देखता है (११)।
विशुद्धलेशी देव उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा द्वारा विशुद्धलेशी देव, देवी व अन्यतर को जानता है, देखता है (१२)।
प्रथम के आठ विकल्पों में न जानता है, न देखता है ; शेष के चार विकल्पों में जानता है, देखता है।
नोट :-अविशुद्धलेशी का टीकाकार ने 'अविशुद्धलेशी विभंगज्ञानी देव' अर्थ किया है । अन्यतर का अर्थ 'दोनों में से एक होता है। 'असम्मोहएणं अप्पाएणं' का अर्थ टीकाकार ने अनुपयुक्त आत्मा किया है। _____टीका-एभिः पुनश्चतुर्भिविकल्पः सम्यग्दृष्टित्वादुपयुक्तत्वानुपयुक्तत्वाच्च जानाति, उपयोगानुपयोगपक्षे उपयोगांशस्य सम्यग्ज्ञानहेतुत्वादिति ।
शेष के चार विकल्पों में विशुद्धलेशी देव सम्यग्दृष्टि होने के कारण उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा होने पर भी जानता व देखता है ; क्योंकि सम्यग्ज्ञान होने के कारण उपयोगानुपयोग में उपयोग का अंश अधिक होता है। '६६ ३.२ विशुद्ध-अविशुद्धलेशी अणगार का विशुद्ध-अविशुद्ध लेश्यावाले देव-देवी को
जानना व देखना :
अविसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे असमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देवि अणगारं जाणइ पासइ ? गोयमा ! नो इण? सम? । (१)
अविसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे असमोहएणं अप्पाणएणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ ? गोयमा ! नो इण? सम? । (२)
अविसुद्धलेस्से (णं भंते !) अणगारे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देवि अणगारं जाणइ पासइ ? गोयमा ! नो इणढे सम? । (३)
अविसुद्धलेस्से (णं भंते ! ) अणगारे समोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ ? (गोयमा !) नो इण? सम? । (४) ___अविसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेस्सं देवं देवि अणगारं जाणइ पासइ ? (गोयमा !) नो इण? सम? । (५)
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