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लेश्या-कोश एएसि णं भंते ! एगिदियाणं कण्हलेस्साणं इड्ढि० जहेव दीवकुमाराणं। नागकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा जहा सोलसमसए दीवकुमारुद्द सए तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव इड्ढी। ___ सुवण्णकुमारा णं भंते ! xxx एवं चेव । विज्जुकुमारा णं भंते ! xxx एवं चेव । वाउकुमारा णं भंते ! xxx एवं चेव । अग्गिकुमारा णं भंते! xxx एवं चेव।
-भग० श १७ । उ १२-१७ । पृ० ७६१ कृष्णलेशी जीव से नीललेशी जीव महाऋद्धि वाला होता है, नीललेशी जीव से कापोतलेशी जीव महाऋद्धि वाला होता है। कापोतलेशी जीव से तेजोलेशी जीव महाऋद्धि वाला, तेजोलेशी जीव से पद्मलेशी जीव महाऋद्धि वाला तथा पद्मलेशी जीव से शुक्ललेशी जीव महाऋद्धि वाला होता है। सबसे अल्पऋद्धि वाला कृष्णलेशी जीव तथा सबसे महाऋद्धि वाला शुक्ललेशी जीव होता है।
कृष्णलेशी नारकी से नीललेशी नारकी महाऋद्धि वाला तथा नीललेशी नारकी से कापोतलेशी नारकी महाऋद्धि वाला होता है। कृष्णलेशी नारकी सबसे अल्पऋद्धि वाला तथा कापोतलेशी नारकी सबसे महाऋद्धि वाला होता है।
कृष्णलेशी यावत् शुक्ललेशी तिर्यंचयोनिक जीवों में अल्पवृद्धि तथा महाऋद्धि के सम्बन्ध में वैसा ही कहना जैसा औधिक जीवों के सम्बन्ध में कहा गया है।
___ कृष्णलेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव से नीललेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव महाऋद्धि वाला, नीललेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव से कापोतलेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव महाऋद्धि वाला तथा कापोतलेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव से तेजोलेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव महाऋद्धि वाला होता है। कृष्णलेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव सबसे अल्पऋद्धि वाला तथा तेजोलेशी एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव सबसे महाऋद्धि वाला होता है।
इसी प्रकार पृथ्वीकायिक जीवों के सम्बन्ध में कहना। इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय जीवों तक कहना परन्तु जिसके जितनी लेश्या हो उतनी लेश्या में अल्पऋद्धि महाऋद्धि पद कहना।
पंचेन्द्रिय तिर्यंच, पंचेंद्रिय तिर्यंच स्त्री, संमूछिम तथा गर्भज सब जीवों में अल्पऋद्धि महाऋद्धि पद कहना। यावत् तेजोलेशी वैमानिक सबसे अल्पऋद्धि वाले तथा शुक्ललेशी वैमानिक सबसे महाऋद्धिवाले होते हैं। कोई आचार्य कहते हैं कि ऋद्धि के आलापक चौबीस दण्डकों में ही कहने चाहिए । ज्योतिषी देवों में केवल एक तेजोलेश्या होने के कारण तुलनात्मक प्रश्न नहीं बनता है।
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