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लेश्या-कोश भंते ! नेरइए नीललेस्सं नेरइयं पणिहाय ओहिणा सव्वओ समंता समभिलोएमाणे समभिलोएमाणे केवइयं खेत्त जाणइ पासइ ? गोयमा ! बहुतरागं खेत्तं जाणइ पासइ, जाव विसुद्धतरागं खत्त पासइ। से केण?णं भंते! एवं वुच्चइ-काउलेरसे णं नेरइए जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ ? गोयमा! से जहानामए केइ पुरिसे बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ पव्वयं दुरूहइ दुरूहित्ता दो वि पाए उच्चाविया, (वइत्ता ) सव्वओ समंता समभिलोएज्जा, तए णं से पुरिसे पव्वयगयं धरणितलगयं च पुरिसंपणिहाय सव्वओ समंता समभिलोएमाणे समभिलोएमाणे बहुतरागं खत्त जाणइ, बहुतरागं खेत्तं पासइ जाव वितिमिरतराग खेत्तपासइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ.--काऊलेस्से णं नेरइए नीललेस्सं नेरइयं पणिहाय तं चेव जाव वितिमिरतरागं खेत्तं पासइ ॥
–पण्ण० प १७ । उ ३ । सू २६ । पृ० ४४४-५ - कृष्णलेशी नारकी कृष्णलेशी नारकी की अपेक्षा अवधिज्ञान द्वारा चारों दिशाओं में तथा चारों विदिशाओं में बहुत ( विस्तृत ) क्षेत्र को नहीं जानता है, बहुत क्षेत्र को नहीं देखता है, दूर क्षेत्र को नहीं जानता है, दूर क्षेत्र को नहीं देखता है, कुछ कम-अधिक क्षेत्र को जानता है, कुछ कम-अधिक क्षेत्र को देखता है। जैसे -यदि कोई पुरुष बराबर समान तथा रमणीक भूमि भाग पर खड़ा होकर चारों तरफ देखता हो तो वह पुरुष पृथ्वीतल में रहनेवाले पुरुष की अपेक्षा चारों तरफ देखता हुआ बहुतर क्षेत्र तथा दूरतर क्षेत्र को जानता नहीं है, देखता नहीं है। कुछ अल्पाधिक क्षेत्र को जानता है, देखता है। इसी तरह कृष्णलेशी नारकी अन्य कृष्णलेशी नारकी की अपेक्षा कुछ अल्पाधिक क्षेत्र को जानता है, देखता है । - नीललेशी नारकी कृष्णलेशी नारकी की अपेक्षा अवधिज्ञान द्वारा चारों दिशाओं में तथा चारों विदिशाओं में देखता हुआ अधिकतर क्षेत्र को जानता है, देखता है। दूरतर क्षेत्र को जानता है, देखता है ; विशुद्धतर क्षेत्र को जानता है, देखता है, जैसे-यदि कोई पुरुष बराबर बहुसम रमणीक भूमि-भाग से पर्वत पर चढ़कर चारों दिशाओं व चारों विदिशाओं में देखता हो तो वह पुरुष पृथ्वीतल के ऊपर रहे हुए पुरुष की अपेक्षा चारों तरफ अधिकतर क्षेत्र को जानता है, देखता है ; दूरतर क्षेत्र को जानता है व देखता है ; विशुद्धतर क्षेत्र को जानता है व देखता है। __ कापोतलेशी नारकी नीललेशी नारकीकी अपेक्षा अवधिज्ञान द्वारा चारों दिशाओं व चारों विदिशाओं में देखता हुआ अधिकतर क्षेत्र को जानता है व देखता है ; दूरतर क्षेत्र को जानता है व देखता है ; विशुद्धतर क्षेत्र को जानता है व देखता है। जैसे-कोई पुरुष बराबर सम रमणीक भूमि से पर्वत पर चढ़कर तथा दोनों पैर ऊँचे उठाकर चारों दिशाओं में तथा चारों विदिशाओं में देखता हो तो वह पुरुष पर्वत पर चढ़े हुए तथा पृथ्वीतल पर खड़े हुए पुरुषों की
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