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श्या-कोश
भावितात्मा अणगार अपनी कर्मलेश्या को न जानता है, न देखता है । सरूपी सकर्मलेश्या को जानता है, देखता है ।
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टीकाकार कहते हैं - “ भावितात्मा अणगार छद्मस्थ होने के कारण ज्ञानावरणीयादि कर्म के योग्य अथवा कर्म सम्बन्धी कृष्णादि लेश्याओं को नहीं जानता है; क्योंकि कर्मद्रव्य तथा लेश्याद्रव्य अति सूक्ष्म होने के कारण छद्मस्थ के ज्ञान द्वारा अगोचर हैं- परन्तु वह अणगार कर्म तथा लेश्या वाले तथा शरीर युक्त आत्मा को जानता है; क्योंकि शरीर चक्षु इन्द्रिय के द्वारा ग्रहण होता है तथा आत्मा का शरीर के साथ कथंचित् अभेद है । इसलिये उसको ।”
जानता
६६४ सलेशी जीव और ज्ञान तुलना :
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परन्तु
६६.४१ सलेशी नारकी की ज्ञान तुलना :
कण्हलेस्से णं भंते! नेरइए कण्हलेस नेरइयं पणिहाए ओहिणा सव्वओ समंता समभिलोएमाणे समभिलोएमाणे केवइयं खेत्त' जाणइ, केवइयं खेत्तं पासइ ? गोयमा ! णो बहुयं खेत्तं णो दूरं खेत्तं जाणइ, णो बहुयं खेत्तं पासइ, णो दूरं खेत्तं जाई, णो दूरं खेत्त पासइ, इत्तरियमेव खेत्त जाणइ, इत्तरियमेव खेत्त पास । से केणटुणं भंते! एवं वुच्चइ - ' कण्हलेसे णं नेरइए तं चेव जाव इत्तरियमेव खेत्त' पास३' ? गोयमा ! से जहानामए के पुरिसे बहुसमरमणिज्जंसि भूमिभागंसि ठिच्चा सव्वओ समंता समभिलोएज्जा, तए णं से पुरिसे धरणितलगयं पुरिसं पणिहाए सव्वओ समंता समभिलोएमाणे समभिलोएमाणे णो बहुयं खेत जाव पास, जाव इत्तरियमेव खेत्त' पास से तेणट्टणं गोयमा ! एवं वुच्चs - कण्हलेसे णं नेरइए जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ । नीललेसे णं भंते ! नेर कण्हलेसं नेरइयं पणिहाय ओहिणा सव्वओ समंता समभिलोएमाणे समभिलोएमाणे केवइयं खेत्त जाणइ, केवश्यं खेत्त पासइ ? गोयमा ! बहुतरागं खेत्तं जाण, बहुतरागं खेत्तं पास, दूरतरं खेत्तं जाण, दूरतरं खेत्तं पास, वितिमिरतरागं खेत्त जाणइ, वितिमिरतरागं खेत्त पासइ, विमुद्धतरागं खेत्त' जाणइ, विसुद्धतरागं खेत्त' पास । से केणट्टणं भंते ! एवं बुच्चर - नीललेसे णं नेरइए कण्हलेस नेरइयं पणिहाय जाव विसुद्धतरागं खेत्त जाणइ विसुद्ध रागं खेत्त' पासइ ? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ पव्वयं दुरूहित्ता सव्वओ समंता समभिलोएज्जा, तए णं से पुरिसे धरणितलगयं पुरिसं पणिहाय सञ्चओ समंता समभिलोएमाणे समभिलोएमाणे बहुतरागं खेत्तं जाण जाव विसुद्धतरागं खेत पास से तेणट्टणं गोयमा ! एवं वुच्चर - नीललेसे नेरइए कण्हलेस जाव विसुद्धतरागं खेत्त पासइ । काउलेस्से
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