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लेश्या-कोश द्वीन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी द्वीन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने । •७२.८ सलेशी त्रीन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प :
त्रीन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी त्रीन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने (देखो पाठ ७२.७)। •७२.६ सलेशी चतुरिन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प :
चतुरिन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी व कापोतलेशी चतुरिन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने ( देखो पाठ •७२७)। .७२.१० सलेशी तिर्यच पंचेन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प :
पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया तहा भाणियव्वा, नवरं जेहिं सत्तावीसं भंगा तेहिं अभंगयं कायव्वं जत्थ असीइ तत्थ असीइं चेव ।
-भग० श १ । उ ५ । प्र १६४ । पृ० ४०१-२ तिर्यच पंचेन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी, कापोतलेशी, तेजोलेशी, पद्मलेशी व शुक्ललेशी तिर्य'च पंचेन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने । •७२.११ सलेशी मनुष्य में कषायोपयोग के विकल्प :
मणस्साण वि जेहिं ठाणेहि नेरइयाणं असीइभंगा तेहिं ठाणेहिं मणुस्साण वि असीइभंगा भाणियव्वा, जेसु ठाणेसु सत्तावीसा तेसु अभंगयं, नवरं मणुस्साणं अब्भहियं जहन्निया ठिई ( ठिइए) आहारए य असीइभंगा।
-भग० श १। उ ५। प्र १६५ । पृ० ४०२ मनुष्य के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए कृष्णलेशी, नीललेशी, कापोतलेशी, तेजोलेशी, पद्मलेशी व शुक्ललेशी मनुष्य में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने। ७२.१२ सलेशी भवनपति देव में कषायोपयोग के विकल्प :
चउसठ्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमाराणं केवइया ठिइट्ठाणा पन्नत्ता ? गोयमा! असंखेज्जा ठिइट्ठाणा पन्नत्ता, जहणिया ठिइ जहा नेरइया तहा, नवरं । पडिलोमा भंगा भाणियव्वा ।
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