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लेश्या-कोश ५८.१८१६ संख्यात् वर्ष की आयुवाले संशी मनुष्य योनि से पंचेंद्रिय तिर्यच योनि में
उत्पन्न होने योग्य जीवों में :गमक-१-६ : संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( सन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजित्तए xxx ते णं भंते !० लद्धी से जहा एयस्सेव सन्निमणुस्सस्स पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स पढमगमए जाव-भवाएसो'त्ति xxx-प्र ३८ । ग० १। सो चेव जहन्नकालट्टिइएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया xxx ~प्र ३६ । ग० २। सो चेव उक्कोसकालढिईएसु उववन्नो xxx सच्चेव वत्तव्वया xxx-- प्र४०। ग० ३। सो चेव अप्पणा जहन्नकालटिइओ जाओ, जहा सन्निपंचिंदियतिरिक्ख जोणियस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जमाणस्स मज्झिमेसु तिम गमएसु निरवसेसाभाणियव्या xxx.-प्र ४१ । ग० ४-६। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिइओ जाओ सच्चेव पढमगमग वत्तव्वया xxx -प्र ४२। ग० ७। सो चेव जहन्नकालठ्ठिइएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया xxx-प्र४३ । ग०८ । सो चेव उक्कोसकालठ्ठिइएसु उववन्नो xxx एस चेव लद्धी जहेव सत्तमगमए xxxप्र ४४ । ग० ६ ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या (देखो ५८.१०.१२), मध्यम के तीन गमकों में तीन लेश्या ( देखो '५८ १८.१७) तथा शेष के तीन गमकों में छ लेश्या होती हैं।
-भग० श २४ । उ २० । प्र३७-४४। पृ० ८४२-४३ ५८.१८२० असुरकुमार देवों से पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक-१-६: असुरकुमार देवों से पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (असुरकुमारे णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए xxx। असुरकुमाराणं लद्धी णवसु वि गमएसु जहा पुढ विकाइएसु उववज्जमाणस्स, एवं जाव-ईसाणदेवस्स तहेव लद्धी xxx ) उनमें नौ गमकों में ही चार लेश्या होती हैं ( ५८.१०.१३)।
-भग० श २४ । उ २० । प्र ४७ । पृ० ८४३ •५८.१८.२१ नागकुमार यावत् स्तनितकुमार देवों से पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने
योग्य जीवों में :--
गमक-१-६ : नागकुमार यावत् स्तनितकुमार देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( नागकुमारे णं भंते ! जे भविए० ? एस चेव वत्तव्वया
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