________________
लेश्या - कोश
१२३
(देखो ग० १, २, ४, ५, ६, ७, ८ के लिए ५८१०६ तथा ग० ३ व ६ के लिए ५८११ )
भग० श २४ | उ २० । प्र १४ - २२ । पृ० ८४०-४१
आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :--
'५८१८'१७ संख्यात् वर्ष की
गमक -- १-६ : संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यच योनि से पंचेंद्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( संखेज्जवासाज्यसन्निपंचिदियतिरिक्ख जोगिएणं भंते! जे भत्रिए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए x x x ते णं भंते ! अवसेसं जहा एयस्स चेत्र सन्निस्स रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स पढमगमए XXX सेसं तं चैव जाव --' भवा एसो 'त्ति XXX - प्र २५-२६ । ग० १ । सो चेव जहन्नकाल
सो चेव अपणा
ईएस ववन्नो एस चैव वत्तव्वया x x x - प्र २७ । ग० २ । सो चेत्र उक्कोसकालट्ठिईएस उववन्नो x x x एस चेव वक्तव्वया XXX - प्र २८ । ग० ३ । सो चेव जहन्नका लट्ठिईओ जाओ XXX। लद्धी से जहा एयस्स चेव सन्निपंचिदियरस पुढविकाइए उववज्जमाणस्स मज्झिल्लएसु तिसु गमएस सच्चेव इह वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु कायन्त्रा xxx - प्र २६ । ग० ४-६ । उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ जहा पढमगमए Xxx - प्र ३० । जहन्नका लट्ठिएस उववन्नो एस चेव वत्तव्वया xxx - प्र ३१ । ग० ८ । सो चेब कोसकालट्ठिए उववन्नो XXX अवसेसं तं चेव x x x -- प्र ३२ । ग० ६ ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छलेश्या होती हैं ( ग० १, २, ३, ७, ८, ६ के लिए देखो ५८१२, ग० ४, ५, ६ के लिए देखो ५८१०१० )
ग०७ । सो चेव
५८१८१८ असंज्ञी मनुष्य
जीवों में :--
- भग० श २४ । उ २० । प्र २५-३२ | पृ० ८४१-४२ योनि से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य
गमक - १-३ : असंज्ञी मनुष्य योनि से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असन्निमणुहसे णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए × × × । लद्धी से तिसु वि गमएस जहेव पुढविकाइएस उववज्जमाणस्स XXX ) उनमें प्रथम के तीन गमक ही होते हैं तथा इन तीनों गमकों में ही तीन लेश्या होती हैं (५८' १०.११ ) ।
Jain Education International
- भग० श २४ | उ २० । प्र ३४ | पृ० ८४२
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org