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लेश्या-कोश गमक-१-३ : सर्वार्थसिद्ध अनुत्तरौपपातिक कल्पातीत देवों से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( सव्वट्ठसिद्धगदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उवव जित्तए० ? सा चेव विजयादि देव वत्तव्वया भाणियव्या xxx सेसं तं चेव xxx -प्र० १७ । ग० १ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया xxx -प्र० १८। ग०२। सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया xxx -प्र० १६ । ग०३ । ए ए चेव तिन्नि गमगा, सेसा न भण्णंति xxx ) उनमें तीन गमक होते हैं तथा उन तीनों गमकों में ही एक शुक्ललेश्या होती है (५८ १६ ३१) ।
-भग श २४ । उ २१ । प्र १७-१६ । पृ० ८४६-४७ ५८.२० वानव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :-- '५८.२०१ पर्याप्त असंज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि के जीवों से वानव्यन्तर देवों में उत्पन्न होने
योग्य जीवों में :-- गमक-१-६ : पर्याप्त असंज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि के जीवों से वानव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (वाणमंतरा णं भंते ! xxx एवं जहेव णागकुमारउद्दसए असन्नी तहेव निरवसेसंxxx) उनमें नौ गमकों में ही तीन लेश्या होती हैं (५८.६१)।
-भग० श २४ । उ २२ । प्र १ । पृ०८४७ '५८.२०.२ असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि के जीवों से वानव्यंतर
देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :गमक-१६ : असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि के जीवों से वानव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (असंखेज्जवासाउय ) सन्निपंचिंदिय० जे भविए वाणमंतरेसु उववजित्तए xxx सेसं तं चेव जहा नागकुमार उद्दसएxxx-प्र२ । ग० १। सो चेव जहन्नकालट्ठिइएसु उववन्नो जहेव णागकुमाराणं बिइयगमे वत्तव्वया-प्र२ । ग०२ । सो चेव उक्कोसकालटिइएसु उववन्नो xxx एस चेव वक्तव्वया xxx प्र४। ग०३। मज्झिमगमगा तिन्नि वि जहेव नागकुमारेसु पच्छिमेसु तिसु गमएसु तं चेव जहा नागकुमारुद्दे सए xxx.. प्र४ । ग० ४-६ ) उनमें नौ गमकों में ही चार लेश्या होती हैं ( ५८ ६ २)
-भग० श २४ । उ २। प्र२.४ । पृ० ८४७ "५८ २०३ (पर्याप्त) संख्यात् वर्ष की आयुवाले संशी पंचेंद्रिय तिर्य च योनि के जीवों से वान
व्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :गमक-१-६ : ( पर्याप्त ) संख्यात् वर्ष की आयुवाले संशी पंचेंद्रिय योनि के जीवों से
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