________________
लेश्या-कोश
..१४३ ५८३४ ग्रेवेयक देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :-- '५८.३४.१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से ग्रैवेयक देवों में उत्पन्न
होने योग्य जीवों में :गमक-१-६ : पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से वेयक देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (गेवेज्जगदेवा णं भंते ! xxx एस चेव वत्तव्वया xxx ) उनमें नौ गमकों में ही छः लेश्याएं होती हैं।
-भग० श २४ । उ २४ । प्र २१ । पृ० ८५१ ५८'३५ विजय, वैजयंत, जयंत तथा अपराजित देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :"५८'३५.१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से विजय, वैजयंत, जयंत
___ तथा अपराजित देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक-१,६ : पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से विजय, वैजयन्त, जयन्त तथा अपराजित देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (विजय-जयंतजयंत-अपराजियदेवा णं भंते ! xxx एस चेव वत्तव्यया निरवसेसा, जाव'अणुबंधो'त्ति । xxx एवं सेसा वि अट्ट गमगा भाणियव्वा xxx मणूसे लद्धी णवसु वि गमएसु जहा गेवेज्जेसु उववन्जमाणस्स xxx) उनमें नौ गमकों में ही छः लेश्याएं होती हैं ( ५८.३४.१ ) ।
-भग० श २४ । उ २४ । प्र २२ । पृ० ८५१ ५८३६ सर्वार्थसिद्ध देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :५८.३६.१ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से सर्वार्थ सिद्ध देवों में
. उत्पन्न होने योग्य जीवों में :-- गमक-१,४,७ : पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य योनि से सर्वार्थसिद्ध देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( सव्वट्ठसिद्धगदेवा ) ( से णं भंते ! x x x अवसेसा जहा विजयाईसु उववज्जंताणं xxx-प्र२३-२४ । ग० १। सो चेव अप्पणा जहन्नकालटिइओ जाओ एस वत्तव्वया xxx सेसं तहेव xxx-प्र २५ । ग०४। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालठ्ठिइओ जाओ, एस चेव वत्तव्वया xxx सेसं तहेव, जाव-भवाएसो'त्ति । xxx-प्र २६ । ग०७। एए तिन्नि गमगा सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं xxx ) उनमें तीनों गमकों में ही छः लेश्याए होती हैं (५८"३५.१)। इसमें पहला, चौथा तथा सातवाँ तीन ही गमक होते हैं।
---भग० श २४ । उ २४ । प्र २३-२६। पृ० ८५१
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org