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लेश्या - कोश
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दो, तीन, चार, पाँच अथवा बहु पृथ्वीकायिक जीव साधारण शरीर नहीं बाँधते हैं, प्रत्येक शरीर बांधते हैं । इन पृथ्वीकायिक जीव समूह के प्रथम की चार लेश्याएँ होती हैं । इसी प्रकार अपकायिक जीव समूह साधारण शरीर नहीं, प्रत्येक शरीर बांधते हैं और इनके चार लेश्याएँ होती हैं ।
अनिकायिक तथा वायुकायिक जीव समूह भी साधारण शरीर नहीं, प्रत्येक शरीर बाँध हैं और इनके प्रथम की तीन लेश्याएँ होती हैं ।
दो यावत् पाँच यावत् संख्यात यावत् असंख्यात वनस्पतिकायिक जीव समूह साधारण शरीर नहीं बांधते हैं, प्रत्येक शरीर बांधते हैं । इन वनस्पतिकायिक जीव समूहों के प्रथम की चार लेश्याएँ होती हैं । लेकिन अनन्त वनस्पतिकायिक जीव समूह साधारण शरीर बांधते हैं । इन वनस्पतिकायिक जीव समूहों के प्रथम की तीन लेश्याएँ होती हैं। 1
द्वीन्द्रिय यावत् चतुरिन्द्रिय जीव समूह साधारण शरीर नहीं बांधते हैं, प्रत्येक शरीर बांधते हैं। इन जीव समूहों के प्रथम की तीन लेश्याएँ होती हैं ।
पंचेंद्रिय जीव समूह भी साधारण शरीर नहीं बांधते हैं, प्रत्येक शरीर बांधते हैं। पंचेंद्रिय जीव समूह के छः लेश्याएँ होती हैं ।
६ से ८ सलेशी जीव
'६१ सलेशी जीव और समपद :
'६११ सलेशी जीव - दण्डक और समपद :
सलेस्सा णं भंते! नेरइया सव्वे समाहारा, समसरीरा, समुहसासनिस्सासा सव्वे वि पुच्छा ? गोयमा ! एवं जहा ओहिओ गमओ तहा सलेस्सागमओ वि निरवसेसो भाणियध्वो जाव वेमाणिया ।
पुण्ण० प १७ । उ १ । सू ११ । पृ० ४३७ सर्व सलेशी नारकी समाहारी, समशरीरी, समोच्छ्वासनिश्वासी, समक्रम, समवर्णी, समलेशी, समवेदनावाले, समक्रियावाले समायुष्यवाले तथा समोपपन्नक नहीं हैं 1
देखो औधिक गमक पण्ण० प १७ । उ १ । सू २ से ६ । पृ० ४३४-३५ सर्व सलेशी असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार समाहारी यावत् समोपपन्नक नहीं हैं । देखो- - पुण्ण० प १७ । उ १ । सू ७ । पृ० ४३५-३६ 1. सर्व सलेशी पृथ्वीकाय समाहारी, समकर्मी, समवर्णी तथा समलेशी नहीं हैं लेकिन समवेदनावाले तथा सम क्रियावाले हैं । इसी प्रकार यावत् चतुरिन्द्रिय तक जानना ।
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-- पण्ण० प १७ | उ १ । सू ८ | पृ० ४३६
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