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लेश्या - कोश
'५८१८५ धूमप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य
जीवों में :
गमक १-६ : धूमप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेंद्रिय तिर्येच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (देखो पाठ ऊपर ५८ १८२ ) उनमें नौ गमकों में ही कृष्ण तथा नील दो लेश्या होती हैं ( ५३६ ) ।
-भग० श २४ । उ २० । प्र ७ । पृ० ८३६ '५८१८६ तमप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेंद्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक- १-६ : तमप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेंद्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (देखो पाठ ऊपर ५८ १८२) उनमें नौ गमकों में ही एक कृष्ण लेश्या होती है। ( *५३'७ ) ।
-भग० श २४ । उ २० । प्र ७ । पृ० ८३६ '५८१८७ तमतमाप्रमापृथ्वी के नारकी से पंचेंद्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक - १-६ : तमतमाप्रभा पृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( अहे सत्तमपुढवीनेरइए णं भंते! जे भविए० ? एवं चेत्र णव गमगा । नवरं ओगाहणा, लेस्सा, ठिइ, अणुबंधा जाणियव्वा x x x लद्धी णवसु वि गमएस - जहा पढमगमए) उनमें नौ गमकों में ही एक परम कृष्ण लेश्या होती है (५३८) । -भग० श २४ । उ२० | प्र८ । पृ० ८३६ १८८ पृथ्वीकायिक योनि से पंचेंद्रिय तिर्येच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :गमक १-६ : पृथ्वीकायिक योनि से पंचेंद्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पुढविकाइए णं भंते! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए xxx ते णं भंते! जीवा० ? एवं परिमाणादीया अणुबंधपज्जवसाणा जच्चेव अपणो सट्टा वक्तव्या सच्चेव पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु वि उववज्जमाणस्स भाणियन्वा xxx सेसं तं चेव ) उनमें प्रथम के तीन गमकों में चार लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में चार होती हैं ( ५८१०१ ) । - भग० श २४ । उ २० । प्र १०-१२ | पृ० ८३६-४० '५८१८६ अप्कायिक योनि से पंचेन्द्रिय तिर्येच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :गमक- १-६ : अप्कायिक योनि से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (पुढविकाइए णं भंते! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए
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