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लेश्या-कोश
११६ ५८.१८ पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :५८.१८.१ रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य
जीवों में :गमक-१-६ : रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तियं च योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( रयणप्पभपुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्ख जोणिएसु उववजित्तए xxxतेसि णं भंते जीवाणं xxx एगा काऊलेस्सा पन्नत्ता प्र ३, ५ । ग० १। सो चेव जहन्नकालट्ठिईएसु उववन्नो xxx-प्र६ । ग० २ । एवं सेसा वि सत्त गमगा भाणियव्वा जहेव नेरइयउद्दसए सन्निपंचिदिएहिं समंप्र६ । ग० ३-६) उनमें नौ गमकों में ही एक कापोत लेश्या होती है ।
-भग० श २४ । उ २० । प्र ३-६ । पृ० ८३८ '५८ १८.२ शर्कराप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य
जीवों में :गमक-१-६ : शर्कराप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( सकरप्पभापुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए० ? एवं जहा रयणप्पभाए णव गमगा तहेव सक्करप्पभाए वि xxx एवं जाव-छट्टपुढवी। नवरं
ओगाहणा लेस्सा ठिइ अणुबंधो संवेहो य जाणियव्वा ) उनमें नौ गमकों में ही एक कापोत लेश्या होती है।
-भग० श २४ । उ २० । प्र ७ । पृ० ८३६ ५८.१८'३ वालुकाप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य
जीवों में :गमक-१-१ : बालुकाप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ऊपर '५८१८२) उनमें नौ गमकों में ही नील तथा कापोत दो लेश्या होती हैं ( ५३४ )।
-भग० श २४ । उ २०। प्र ७ । पृ० ८३६ ५८.१८४ पंकप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य
___जीवों में :
गमक-१-६ : पंकप्रभापृथ्वी के नारकी से पंचेन्द्रिय तियं च योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ऊपर '५८१८०२) उनमें नौ गमकों में ही एक नील लेश्या होती है ( "५३'५)।
-भग० श २४ । उ २० । प्र७। पृ० ८३६
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