________________
लेश्या-कोश
११७ xxx एवं जहा जोइसियस्स गमगो। xxx एवं सेसा वि अट्ट गमगा भाणियव्वा) उनमें नौ गमकों में ही एक तेजोलेश्या होती है ।
--भग० श २४ । उ १२ । प्र ५५ । पृ० ८३६ '५८.१०.१८ ईशान कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य
जीवों में :गमक–१-६ : ईशान कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( ईसाणदेवे गं भंते ! जे भविए. xxx एवं ईसाणदेवेण वि णव गमगा भाणियव्वा xxx सेसं तं चेव ) उनमें नौ गमकों में ही एक तेजालेश्या होती है।
--भग० श २४ । उ १२। प्र ५५ । पृ० ८३६ '५८.११ अंफायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :५८.११.१ से १८ स्व-पर योनि से अप्कायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक-१-8 : स्व-पर योनि से अप्कायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( आउक्काइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जंति ? एवं जहेव पुढविक्काइयउद्देसए, जाव--xxx पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए आउक्काइएसु उववज्जित्तएxxx एवं पुढविक्काइयउद्देसगसरिसो भाणियव्वो xxx सेसं तं चेव) उनके सम्बन्ध में लेश्या की अपेक्षा से पृथ्वीकायिक उद्देशक ( ५८.१०.१-१८) में जैसा कहा वैसा ही कहना।
--भग० श २४ । उ १३ । प्र १ । पृ० ८३७ ५८.१२ अग्निकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :५८.१२.१.१२ स्व-पर योनि से अग्निकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक-१६ : स्व-पर योनि से अग्निकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( तेउकाइया णं भंते ! कओहितो उववज्जंति ? एवं जहेव पुढविक्काइयउद्देसगसरिसो उद्देसो भाणियव्वो। नवरं xxx देवेहितो ण उववज्जंति, सेसं तं चेव ) उनके सम्बन्ध में लेश्या की अपेक्षा से पृथ्वीकायिक जीवों के उद्देशक (५८.१०.१-१२) में जैसा कहा वैसा ही कहना।
-भग० श २४ । उ १४ । प्र१। पृ०८३७ ५८.१३ वायुकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :-- ५८.१३ १.१२ स्व-पर योनि से वायुकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक-१-६ : स्व-पर योनि से वायुकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (वाउकाइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ? एवं जहेव तेउक्काइयउद्देसओ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org