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लेश्या-कोश नागकुमारेसु उववज्जित्तए xxx एवं जहेव असंखेन्जवासाउयाणं तिरिक्खजोणियाणं नागकुमारेसु आदिल्ला तिन्नि गमगा तहेव इमस्स वि xxx सेसं तं चेव-प्र १३। ग० १-३। सो चेव अप्पणा जन्नकालठ्ठिईओ जाओ, तस्स तिसु वि गमएसु जहा तस्स चेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स तहेव निरवसेसं-प्र १४ । ग० ४-६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिओजाओ, तस्स तिसु वि गमएसु जहा तस्स चेव उक्कोसकालद्विइयस्स असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स-xxx सेसं तं चेवप्र १५। ग० ७-६ ) उनमें नौ गमकों ही में प्रथम की चार लेश्या होती हैं ( ५८६२ - ग० १-३ । '५८८४-०४-६)।
-भग० श २४ । उ ३ । प्र १३-१५ । पृ० ८२८-२६ '५८६.५ पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने
योग्य जीवों में :गमक-१-६: पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से नागकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए नागकुमारेसु उववज्जित्तए xxx एवं जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स सच्चेव लद्धी निरवसेसा नवसु गमएस xxx) उनमें नौ गमकों में ही छ लेश्या होती हैं '५८८५-५८१.३)।
--भग० श २४ । उ ३ । प्र १७ । पृ० ६२६ ५८६१ सुवर्णकुमार यावत् स्तनितकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य नागकुमार देवों की तरह जो पाँच प्रकार के जीव हैं ( अवसेसा सुवन्नकुमाराईजाव-थणियकुमारा एए अठ्ठ वि उद्देसगा जहेव नागकुमारा तहेव निरवसेसा भाणियव्वा ) उन पाँचों प्रकार के जीवों के सम्बन्ध में नौ गमकों के लिये जैसा नागकुमार उद्देशक में कहा वैसा कहना। इन आठों देवों के सम्बन्ध में प्रत्येक के लिए एक-एक उद्देशक कहना।
-भग० श २४ । उ ४-११ । पृ० ८२६ •५८१० पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :'५८.१०.१ स्व योनि से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक-१-६ : पृथ्वीकायिक जीवों से पृथ्वीकायिक जीवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए पुढ विक्काइएसु उववज्जित्तए xxx ते णं भंते ! जीवा० xxx चत्तारि लेस्साओ xxx -प्र३-४। ग०१। सो चेव जहन्नकालटिईएसु उववन्नो xxx-एवं चेव वत्तव्वया निरवसेसा---प्र ६। ग० २ । सो चेव उक्कोसकालटिईएसु उववन्नो, xxx सेसं तं चेव, जाव-'अनुबंधो'त्तिxxxप्र ७ । ग०५। सो चेव अप्पणा जहन्नकालढिईओ जाओ, सो चेव पढमिल्लओ गमओ
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