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लेश्या-कोश गमक-७ : उत्कृष्टस्थितिवाले पर्याप्त असंशी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि से रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( उक्कोसकालटिईयपज्जत्तअसन्निपंचिंदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए xxx ते णं भंते ! जीवा० xxx अवसेसं जहेव ओहियगमएणं तहेव अणुगंतव्वं ) उनमें कृष्ण, नील तथा कापोत तीन लेश्या होती हैं ।
-भग० श २४ । उ १ । प्र ४३, ४४ । पृ० ८१७-१८ गमक-८ : उत्कृष्टस्थितिवाले पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि से जघन्यस्थितिवाले रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( उक्कोसकालटिईयपज्जत्त तिरिक्ख जोणिए णं भंते! जे भविए जहन्नकालटिईएसु रयण० जाव-उववज्जित्तए xxx ते णं भंते ! जीवा० xxx सेसं तं चेव, जहा सत्तमगमए ) उनमें कृष्ण, नील तथा कापोत तीन लेश्या होती हैं ।
-भग० श २४ । उ १ । प्र ४६, ४७ । पृ० ८१८ गमक-है : उत्कृष्टस्थितिवाले पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि से उत्कृष्टस्थितिवाले रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (उकोसकालढिईयपज्जत्तजाव-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए उक्कोसकालट्ठिईएसु रयण० जाव-- उववज्जित्तए xxx ते णं भंते ! जीवा.xxx सेसं जहा सत्तमगमए ) उनमें कृष्ण, नील तथा कापोत तीन लेश्या होती हैं।
-भग० श २४ । उ १ । प्र ४६, ५० । पृ०८१८ ५८.१२ पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तियं च योनि से रत्नप्रभापृथ्वी के
नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक-१ : पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि से रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसन्निपंचिदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभपुढविनेरइएसु उववज्जित्तए xxx तेसि णं भंते ! जीवाणं कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! छल्लेस्साओ पन्नत्ताओ। तं जहा- कण्हलेस्सा, जाव--सुक्कलेस्सा ) उनमें कृष्ण यावत् शुक्ल छ लेश्या होती हैं।
-भग० श २४ । उ १। प्र५५, ५६ । पृ० ८१६ गमक-२ : पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि से जघन्यकालस्थितिवाले रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (पज्जत्तसंखेज्जा
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