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लेश्या - कोश
५८८ असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य अन्य गति के जीवों में :---- ५८८१ पर्याप्त असंज्ञी पंचेंद्रिय तिर्येच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य
जीवों में :
गमक - १-६ : पर्याप्त असंज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जत्तअसन्निपंचिदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते! जे भविए असुरकुमारेसु उवज्जित्तए xxx ते णं भंते ! जीवा० ? एवं रयणप्पभागमगसरिसा णव विगमा भाणियव्वा x x x अवसेसं तं चेत्र ) उनमें नव गमकों ही में आदि की तीन लेश्या होती हैं ( ५८११ ग० १-६ )
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-भग० श २४ | उ२ । प्र २, ३ | पृ० ८२५
*५८८२ असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक- १-६ : असंख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( असंखेज्जवासाउयसन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए x x x ते णं भंते ! जीवा - पुच्छा | x x x चत्तारि लेस्सा आदिल्लाओ × × × ग० १ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएस उववन्नो - एस चेव वत्तव्वया xxx | ग० २ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएस उववन्नो XXX - एस चेव वत्तव्वया x x x सेसं तं चैव । ग० ३ । सो चे अपणा जहन्नकालट्ठिईओ जाओ x x x ते णं भंते! अवसेसं तं चैव जाव - 'भवाएसो 'त्ति xxx | ग०४ । सो चेव जहन्नकालट्ठिईएस उववन्नो-एस चैव वत्तव्वया × × × । ग० ५ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएस उववन्नो Xxx सेसं तं चैव XXX ग०६ । सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ, सो चेव पढम गमगो भाणियव्वो x x × । ग० ७ । सो चेत्र जहन्नकालट्ठिईएस उववन्नो, एस चैव वत्तव्वया XXX ग०८ । सो चेव उक्कोसकालट्ठिईएस उववन्नो, एस चैव वत्तव्वया x x x ग० ६ ) उनमें नौ गमकों ही में आदि की चार लेश्या होती हैं ।
भग० श २४ । २ । प्र५-१५ | पृ० ८२५/२७ '५८८३ पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :--
गमक- १-६ : पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यच योनि से असुरकुमार देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जतसंखेज्जवासाज्य सन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए x x x ते णं भंते !
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