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लेश्या-कोश '५८२ शर्करापभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :५८२.१ पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि से शर्कराप्रभापृथ्वी
के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक-१-६ : पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि से राराप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जत्त संखज्जवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते ! जे भविए सकरप्पभाए पुढवीए नेरइएसु उववज्जित्तए xxx ते णं भंते ! जीवा xxx एवं जहेव रयणप्पभाए उववज्जंत(गम ) गस्स लद्धी सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा xxx एवं रयणप्पभपुढविगमग सरिसा णव वि गमगा भाणियव्वा xxx) उनमें प्रथम के तीन गमकों में छ लेश्या, मध्यम के तीन गमकों में आदि की तीन लेश्या तथा शेष के तीन गमकों में छ लेश्या होती हैं।
-भग० श २४ । उ १। प्र०७४-७५ । पृ० ८२१ '५८२२ पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से शर्कराप्रभापृथ्वी के नारकी में
___ उत्पन्न होने योग्य जीवों में :--
गमक-१-६ : पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से शर्कराप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जत्त संखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए नेरइएसु जाव-उववज्जित्तए xxx ते णं भंते ! सो चेव रयणप्पभपुढविगमओ णेयव्वो xxx एवं एसा ओहिएसु तिसु वि
मएसु मणूसस्स लद्धी xxx। सो चेव अप्पणाजहन्नकालट्ठिईओ जाओ तस्स वि तिसु वि गमएसु एस चेव लद्धी xxx। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ तस्स वि तिस वि गमएसु xxx सेसं जहा पढमगमए) उनमें नव ही गमकों में छ लेश्या होती हैं।
-भग० श २४ । उ १ । प्र १०१-१०४ । पृ० ८२४ •५८'३ बालुकाप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :"५८३.१ पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संशी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनि से बालुकाप्रभापृथ्वी
के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जीवों में :
गमक–१-६ : पर्याप्त संख्यात् वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि से बालुकाप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसन्निपंचिदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते ! जे भविए सकरप्पभाए पुढवीए नेरइएसु उववज्जित्तए xxx ते णं भंते ! जीवा० xxx एवं जहेव रयणपभाए उबवज्जतग (मग) स्स लद्धी सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा-जाव 'भवाएसो' त्ति ।
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