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लेश्या-कोश १५.१० शालि, व्रीहि आदि वनस्पतिकाय में (क) इनके मूल में
साली-वीही गोधूम-जाव जवजवाणं xx जीवा मूलत्ताए-ते णं भंते ! जीवा कि कण्हलेस्सा नीललेस्सा काऊलेस्सा छव्वीसं भंगा।
-भग० श० २१ । व १ । उ १ । प्र १ । पृ० ८११ शालि, व्रीहि, गोधूम, यावत् जवजव आदि के मूल के जीवों में तीन लेश्या और छब्बीस विकल्प होते हैं। (ख) इनके कंद में
तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं । (ग) इनके स्कन्ध में
तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं। (घ) इनकी त्वचा में
तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं । (ङ) इनकी शाखा में
तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं। (च) इनके प्रवाल में
तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं। (छ) इनके पत्र में
तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं। (ज) इनके पुष्प में
एवं पुफ्फे वि उद्दसओ, नवरं देवा उववज्जति जहा उप्पलुद्द से चत्तारि लेस्साओ, असीइ भंगा।
चार लेश्या-तथा अस्सी विकल्प होते हैं क्योंकि इनमें देवता उत्पन्न होते हैं। (झ) इनके फल में
जहा पुप्फे एवं फले वि उद्देसओ अपरिसेसो भाणियव्यो।
फल में भी पुप्प की तरह चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं। (ञ) इनके बीज में
एवं बीए वि उद्देसओ। बीज में भी पुष्प की तरह चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं।
-भग० श २१ । व १ । उ २ से १०। प्र१। पृ० ८११
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