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लेश्या-कोश ताड, तमाल-तक्कलि, तेतलि, साल, देवदार, सारग्गल यावत् केतकी, केला, कंदली, चर्मवृक्ष, गुंदवृक्ष, हिंगुवृक्ष, लवंगवृक्ष, सुपारीवृक्ष, खज़र, नारिकेल -इनके मूल, कंद-स्कन्ध, त्वचा (छाल ) शाखा में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं। अवशेष--प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल, बीज में चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं । १५.१६ लीमडा, आम्र आदि वनस्पतिकाय में
अह भंते ! निबंबजंबुकोसंबतालअंकोल्लपीलुसेलुसल्लइमोयइमालुयवउलपला. सकरंजपुत्तंजीवगरिठ्ठवहेडगहरियगभल्लाय उंबरियखीरणिधायइपियालपूश्य णिवायगसेण्हयपासियसीसवअयसिपुण्णागनागरुक्खसीवण्णअसोगाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं मूलादीया दस उद्दे सगा कायव्वा निरवसेसं जहा तालवग्गो ।
-भग० श २२ । व २। पृ० ८१२-१३ निम्ब, आम्र, जांबू, कोशंब, ताल, अंकोल्ल, पीलु , सेलु, सल्लकी, मोचकी, मालक, वकुल, पलाश, करंज, पुत्रजीवक, अरिष्ट, बहेड़ा, हरड, भिलामा, उबेभरिका, क्षीरिणी, धावडी, प्रियाल, पूतिनिम्ब, सेण्हय, पासिय, सीसम, अतसी, नागकेसर, नागवृक्ष, श्रीपर्णी, अशोक इनके मूल, कंद, स्कंध, त्वचा, शाखा में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं । अवशेष--प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल, बीज में चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं। १५.२० अगस्तिक आदि वनस्पतिकाय में ।
अह भंते ! अत्थियातिदुयबोरकविट्ठअंबाडगमाउलिंगबिल्लआमलगफणसदाडिमआसत्थउंबरवडणग्गोहनंदिरुक्खपिप्पलिसतरपिलक्खुरुक्खकाउंबरियकुच्छंभरियदेवदालितिलगलउयछत्तोहसिरीससत्तवण्णदहिवण्णलोद्धधवचंदण अज्जुणणीवकुडुगकलंबाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति ते णं भंते ! एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्द सगा तालवग्गसरिसा णेयव्वा जाव बीयं ।।
-भग० श २२ । व २ । पृ० ८१३ अगस्तिक, तिंदुक, बोर, कोठी, अम्बाडग, बीजोरु, बिल्व, आमलक, पनस, दाडिम, अश्वत्थ ( पीपल ), उबर, वड, न्यग्रोध, नन्दिवृक्ष, पीपर, सतर, प्लक्षवृक्ष, काकोदुम्बरी, कस्तुम्भरि देवदालि, तिलक, लकुच, छत्रौंध, शिरिष, सप्तपर्ण, दधिपर्ण, लोध्रक, धव, चन्दन, अर्जुन, नीप, कुटज, कदम्ब-इनके मूल, कन्द, स्कन्ध, त्वचा, शाखा में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं। अवशेष—प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल, बीज में चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं।
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