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लेश्या-कोश १५.११ कलई आदि वनस्पतिकाय में
कलाय-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निप्फायकुलत्थ-आलिसदंग-सडिण-पलिमंथगाणं xx एवं मूलादीया दसउद्दे सगा भाणियव्वा जहेव सालीणं निरवसेसं तहेव ।
-भग० श २१ । व ३ । उ १ से १० । प्र० १। पृ० ८११ कलई, मसूर, तिल, मूंग, अरहड़, वाल, कलत्थी, आलिसंदक, सटिन, पालिमंथक, वनस्पति के मूल, कन्द, स्कन्ध, त्वचा, शाखा, प्रवाल, पत्र में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प तथा पुष्प-फल-बीज में चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं। १५.१२ अलसी आदि वनस्पतिकाय में ____ अह भंते ! अयसि कुसुंभ-कोदव कंगु-रालग-तुवरी-कोदूसा-सण-सरिसवमूलगबीयाणं x x एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्दसगा जहेव सालीणं निरवसेसं तहेव भाणियव्वं ।
-भग० श २१ । व ३ । उ १ से १० । प्र १ । पृ० ८११ अलसी, कुसम्भ, कोद्रव, कांग, राल, कुवेर, कोदुसा, सण. सरसव, मूलकबीज वनस्पति के मूल, कन्द, स्कन्ध, त्वचा, शाखा, प्रवाल, पत्र में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं तथा पुष्प-फल-बीज में चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं । १५.१३ बांस आदि वनस्पतिकाय में
अह भंते ! वंस-वेणु-कणग कक्कावंस-चारूवंस-दण्डा-कुडा-विमाचण्डा-वेण्याकल्लाणीणं xxx एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालीणं, नवरं देवो सव्वत्थ वि न उववज्जइ, तिन्नि लेस्साओ, सव्वत्थ वि छव्वीसं भंगा।
-भग० श २१ । व ४ । पृ० ८१२ बांस, वेणु, कनक, ककविंश, चारूवंश, दण्डा, कुडा, विमा, चण्डा, वेणुका, कल्याणी, इनके मूल यावत् बीज में तीन लेश्या तथा छब्बीस विकल्प होते हैं। १५.१४ इक्षु आदि वनस्पतिकाय में
अह भंते! उक्खु-इक्खु-वाडिया-वीरणा-इक्कड-भमास-सुंठि-सत्त-वेत्त-तिमिरसयपोरग नलाणं x एवं जहेव वंसवग्गो तहेव, एत्थ वि मूलादीया दस उद्द सगा, नवरं खंधुद्दे से देवा उववज्जंति, चत्तारि लेस्लाओ पन्नत्ता।
___-भग० श २१ । व ५ | पृ० ८१२ इक्षु, इक्षवाटिका, वीरण, इक्कडभमास-सुंठ-शर-वेत्र-तिमिर-सयपोरग-नल-इनके स्कन्ध बाद मूलादि में तीन लेश्या, २६ विकल्प तथा स्कन्ध में चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं।
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