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लेश्या-कोश (ख) महाविदेह क्षेत्र ( कर्मभूमिज ) के मनुष्य में :
पुव्व विदेहे अवरविदेहे कम्मभूमयमणुस्साणं कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ, गोयमा ! छल्लेस्साओ, तं जहा- कण्हा जाव सुक्का। एवं मणुस्सीणवि ।
-पण्ण० प १७ । उ ६ । सू १ । पृ० ४५१ ___ पूर्व और पश्चिम महाविदेह के कर्मभूमिज मनुष्य में छः लेश्या होती है। इसी प्रकार मनुष्यणी ( स्त्री ) में भी छः लेश्या होती है । २०.६ अकर्मभूमिज मनुष्य तथा मनुष्यणी में :
अकम्मभूमयमणुस्साणं पुच्छा। गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहा- कण्हा जाव तेऊलेस्सा। एवं अकम्मभूमयमणुस्सीणवि।
-पण्ण० प १७ | उ ६ | प्र१ । पृ० ४५१ ___ अकर्मभूमिज मनुष्य में चार लेश्या होती है। इसी प्रकार मनुष्यणी ( स्त्री ) में भी चार लेश्या होती है। २०.७ अकर्मभूमिज मनुष्य और मनुष्यणी के विभिन्न भेदों में :
(क) हेमवय-हैरण्यवय अकर्ममूमिज मनुष्य में :
एवं हेमवयएरन्नवयअकम्मभूमयमणुस्साणं मणुस्सीण य कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! चत्तारि, तंजहा–कण्हा जाव तेउलेस्सा।
-पण्ण० प १७ । उ ६ । प्र १ । पृ० ४५१ हैमवय हैरण्यवय अकर्मभूमिज मनुष्य तथा मनुष्यणी में चार लेश्या होती है। (ख) हरिवास-रम्यकवास अकर्ममूमिज मनुष्य में :
हरिवासरम्मयअकम्मभूमयमणुस्साणं मणुस्सीण य पुच्छा । गोयमा ! चत्तारि, तंजहा-कण्हा जाव तेऊलेस्सा।
–पण्ण० प १७ । उ ६ । प्र १ । पृ० ४५१ हरिवास-रम्यकवास अकर्मभूमिज मनुष्य-मनुष्यणी में चार लेश्या होती है। (ग) देवकुरु-उत्तरकुरु अकर्मभूमिज मनुष्य में :देवकुरु उत्तरकुरु अकम्मभूमयमणुस्सा एवं चेव । एएसिं चेव मणुस्सीणं एवं चेव।
-पण्ण० प १७ । उ ६ । प्र १ । पृ० ४५१ देवकुरु-उत्तरकुरु अकर्मभूमिज मनुष्य में चार लेश्या होती है। इसी प्रकार मनुष्यणी में भी चार लेश्या होती है।
(घ) धातकीखण्ड और पुष्कर द्वीप के अकर्मभूमिज मनुष्य मेंधायइखंडपुरिमद्धे वि एवं चेव, पच्छिमद्धे वि। एवं पुक्खरदीवे वि भाणियव्वं ।
- पण्ण० प १७ । उ ६ । प्र १ । पृ० ४५१
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