________________
लेश्या - कोश
चारलेश्या के चार भांगे कुल ८ भांगे । द्विक्संयोग में एक तथा अनेक की चउभंगी होती है । कृष्णादि चार लेश्या के छः द्विकसंयोग होते हैं । उसको पूर्वोक्त चउभंगी के साथ गुणा करने से द्विकसंजोगी २४ विकल्प होते हैं । चार लेश्या के त्रिकसंयोगी ८ विकल्प होते हैं । उनको पूर्वोक्त चउभंगी के साथ गुणा करने से त्रिकसंयोगी के ३२ विकल्प होते हैं । तथा चतुष्कसंजोगी के १६ विकल्प होते हैं अतः सब मिलकर ८० विकल्प होते हैं ।
(ख) ( सालुए एगपत्तए) एवं उप्पलुद्दे सग वत्तव्त्रया ? अपरिसेसा भाणियव्वा जाव अनंतखुत्तो ।
७०
-भग० श ११ । उ२ । प्र १ । पृ० ६२५
एक पत्री उत्पल की तरह एक पत्री शालुक को जानना । (ग) ( पलासे एगपत्त ए ) लेसासु ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेसा नीललेसा काऊलेस्सा ? गोयमा ! कण्हलेस्से वा नीललेस्से वा काऊलेस्से वा छव्वीसं भंगा, सेसं तं चैव । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
-भग० श ११ । उ ३ । प्र २ । पृ० ६२५ एकपत्री पलास वृक्ष में प्रथम तीन लेश्या होती है। एक और अनेक जीव की अपेक्षा से इसके २६ विकल्प जानना ।
(घ) (कुंभिए एगपत्तए) एवं जहा पलासुद्द सए तहा भाणियव्वे |
-भग० श० ११ । उ ४ । प्र १ । पृ० ६२५ एकपत्री पलास की तरह एकपत्री कुंभिक में तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं । (ङ) (नालिए एगपत्तए) एवं कुंभिउद्दे सग वत्तव्वया निरविसेसं भाणियव्वा ।
- भग० श० ११ । उ ५ । प्र १ । पृ० ६२५ एक पत्र नालिक वनस्पति में एकपत्री कुंभिक की तरह तीन लेश्या छव्वीस विकल्प होते हैं।
(च) ( पउमे ) एवं उप्पलुद्देसग बत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा ।
- भग० श० ११ । उ ६ । प्र १ । पृ० ६२५ एकपत्री पद्म वनस्पतिकाय में उत्पल की तरह चार लेश्या तथा अस्सी भांगे होते हैं । (छ) (कन्निए ) एवं चेव निरवसेसं भाणियव्वं ।
-भग० श० ११ । उ ७ । प्र १ । पृ० ६२५ एक पंत्री कर्णिका वनस्पतिकाय में उत्पल की तरह चार लेश्या, अस्सी विकल्प होते हैं । (ज) (नलिणे ) एवं चेव निरविसेसं जाव अनंतखुत्तो ।
-भग० श० ११ उ ८ । प्र १ । पृ० ६२५ एक पत्री नलिन वनस्पतिकाय के उत्पल की तरह चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org