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लेश्या - कोश
*१५१५ सेडिय आदि तृण विशेष वनस्पतिकाय में
अह भंते! सेडिय-भंतिय दब्भ- कोंतिय-दब्भकुस -पव्त्रग पादेइल अज्जुण-आसा - रोहि समु-अवखीर- भुस एरंड कुरुकुंद - करकर-सुंठ- विभंगु महुरयण-धुरग सिपिव - संकलित गाणं x x एवं एत्थ वि दस उद्दे सगा निरवसेसं जहेव सवग्गो ।
-भग० श २१ । व ६ । पृ० ८१२
सेडिय, भंतिय ( भंडिय ), दर्भ, कोंतिय, दर्भ कुश, पर्वक, पोदेइल ( पोइदइल ), अर्जुन (अंजन), आषाढक, रोहितक, समु, तवखीर, भुस, एरण्ड, कुरुकंद, करकर, सूंठ, विभंग, मधुरयण ( मधुवयण ), थुरंग, शिल्पिक, सुकं लितृण - इनके मूल यावत् बीज में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं ।
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*१५*१६ अभ्ररूह आदि वनस्पतिकाय में
अह भंते ! अब्भरुह - वायण हरितग-तंदुलेज्जग-तण-वत्थुल-पं 5- पोरग मज्जारयाईविल्लि पालक दगपिप्पलिय-दव्वि-सोत्थिय- सायमंडुक्कि - मूलग-सरिसव - अंबिलसागजियंतगाणं x x एवं एत्थ वि दस उद्द सगा जहेव वसवग्गो ।
--भग० श २१ । व ७ । पृ० ८१२
अरूह, वायण, हरितक, तांदलजो, तृण, वत्थुल, पोरक, मार्जारक, बिल्लि, (चिल्लि), पालक, दगपिप्पली, दव्व ( दव ), स्वस्तिक, शाकमंडुकी, मूलक, सरसव, अंबिलशाक, जियंतग - इनके मूल यावत् बीज में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं 1 *१५ १७ तुलसी आदि वनस्पतिकाय में
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अह भंते! तुलसी - कण्ह-दराल-फणेज्जा- अज्जा- चूयणा चोरा-जीरा-दमणामुरुया - इंदीवर सयपुप्फाणं x x एत्थ वि दस उद्दे सगा निरवसेसं जहा वंसाणं ।
-भग० श २१ व ८ । पृ० ८१२ तुलसी, कृष्ण, दराल, फणेज्जा, अज्जा, चूतणा, चोरा, जीरा, दमणा, मरुया, इंदीवर, शतपुष्प - इनके मूल यावत् बीज में तीन लेश्या तथा २६ विकल्प होते हैं । *१५*१८ ताल तमाल आदि वनस्पतिकाय में
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अह भंते! ताल-तमाल-तक्कलि-तेत लि-साल-सरला-सारगल्लाणं जाव के यतिकद लि- कंद लि- चम्मरुक्ख गुंतरुषख- हिंगुरुक्ख लवंगरुक्ख पूयफल - खज्जूरि - नाल एरीणं -- मूले कन्दे खंधे तयाए साले य एएसु पंचसु उद्दे सगेसु देवो न उववज्जइ । तिन्निलेस्साओ x x x उवरिल्लेसु ( पवाले - पत्ते - पुप्फे - फले- बीए) पंचसु उद्दे सगेसुदेवो उववज्जइ । चत्तारिलेस्साओ ।
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-भग० श २२ व १ । पृ० ८१२
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