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लेश्या-कोश कृष्ण लेश्या, नील लेश्या, कापोत लेश्या, दुर्गन्धित द्रव्यवाली हैं। मृत गाय, मृत श्वान तथा मृत सर्प की जैसी दुर्गन्ध होती है उससे अनन्तगुणी दुर्गन्ध इन तीन अप्रशस्त लेश्याओं की होती है। १२.२ पश्चात् की तीन लेश्या सुगन्धवाली है।
(क) कइ णं भंते ! लेस्साओ सुब्भिगंधाओ पन्नत्ताओ ? गोयमा! तओ लेस्साओ सुब्भिगंधाओ पन्नत्ताओ, तंजहा-तेऊलेस्सा, पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा।
-- पण्ण० प १७ । उ ४ । सू ४७ । पृ० ४४८,६
- ठाण० स्था ३ । उ ४ । सू २२१ । पृ० २२० (उत्तर केवल) (ख) जह सुरभिकुसुमगंधो, गंधवासाण पिस्समाणाणं । एत्तो वि अणंतगुणो, पसत्थलेसाण तिण्हं पि॥
–उत्त० अ ३४ । गा १७ । पृ० १०४६ तेजो लेश्या, पद्मलेश्या तथा शुक्ललेश्या सुगन्धित द्रव्यवाली हैं तथा इनकी सुगन्ध सुरभित पुष्पों तथा घिसे हुए सुगन्धित द्रव्यों से अनन्तगुणी सुगन्धवाली हैं।
.१३ द्रव्यलेश्या के रस :
कण्हलेस्साणं भन्ते कइ x x रसा xx पन्नत्ता ? गोयमा ! दव्वलेस्सं पडुच्च xx पंच रसा xx एवं जाव सुक्कलेस्सा।
-भग० श १२ । उ ५। प्र १६। पृ० ६६४ द्रव्यलेश्या के छहों भेद पाँचरसवाले हैं। १३.१ कृष्णलेश्या के रस
(क) कण्हलेस्सा णं भंते ! केरिसिया आसाएणं पन्नत्ता ? गोयमा! से जहानामए निबे इ वा निबसारे इ वा निंबछल्ली इ वा निंबफाणिए इ वा कुडए इ वा कुडगफलए इ वा कुडगछल्ली इ वा कुडगफाणिए इ वा कडुगतुंबी इ वा कडुगतुंबिफले ३ वा खारतउसी इ वा खारतउसीफले इ वा देवदाली इ वा देवदालीपुप्फे इ वा मियवालूकी इ वा मियवालुंकीफले इ वा घोसाडए इ वा घोसाडइफले इ वा कण्हकंदए इ वा वजकंदए इ वा, भवेयारूवे ? गोयमा ! णो इण? सम?, कण्हलेस्सा णं एत्तो अणि?तरिया चेव जाव अमणामतरिया चेव आसाएणं पन्नत्ता ।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । सू ४१ । पृ० ४४७-४४८
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