________________
लेश्या-कोश ११.५ पद्मलेश्या के वर्ण ।
(क) पम्हलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वन्नेणं पन्नत्ता ? गोयमा ! से जहानामए वम्पे इ वा चंपयछल्ली इ वा चंपयभेये इ वा हालिहा इ वा हालिांगुलिया इ वा हालिदभेये इ वा हरियाले इ वा हरियालगुलिया इ वा हरियालभेये इ वा चिउरे इ वा चिउररागे इ वा सुवन्नसिप्पी इ वा वरकणगणिहसे इ वा वरपुरिसवसणे इ वा अल्लइकुसुमे इ वा चंपयकुसुमे इ वा कणियारकुसुमे इ वा कुहंडयकुसुमे इ वा सुवण्णजूहिया इ वा सुहिरन्नियाकुसुमे इ वा कोरिंटमल्लदामे इ वा पीतासोगे इ वा पीतकणवीरे इ बा पीतबंधुजीवए इवा, भवेयारूवे ? गोयमा ! णो इणढे सम? । पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया जाव मणामतरिया चेव वन्नेणं पन्नत्ता।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । सू ३८ । पृ० ४४७ (ख) हरियालभेयसंकासा, हलिहाभेयसमप्पभा । सणासणकुसुमनिभा, पम्हलेसा उ वण्णओ॥
--उत्त० अ ३४ । गा ८। पृ० १०४६ (ग) पम्हलेस्सा हालिहएणं वन्नेणं साहिज्जइ ।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । स ४० । पृ० ४४७ चम्पा, चम्पा की छाल, चम्पा का खण्ड, हल्दी, हल्दी की गोली, हल्दी का टुकड़ा, हड़ताल, हड़ताल गुटिका, हड़ताल खण्ड, चिकुर, चिकुरराग, सोने की छीप, श्रेष्ठ सुवर्ण, वासुदेव का वस्त्र, अल्लकी पुष्प, चम्पक पुष्प, कर्णिकार पुष्प, ( कनेर का फूल ) कुष्माण्ड कुसुम, सुवर्ण जूही, सुहिरिण्यक, कोरंटक की माला, पीला अशोक, पीत कनेर, पीत बन्धुजीव, सन के फूल, असन के फूल आदि के वर्ण की पीतता से अधिक इष्टकर, केतकर, प्रीतकर, मनोज्ञ, मनभावने वर्णवाली पद्मलेश्या होती है।
पद्मलेश्या पंचवर्ण में पीले वर्ण की है।
११.६ शुक्ललेश्या के वर्ण ।
(क) सुक्कलेस्साणं भंते ! किरिसिया वन्नेणं पन्नत्ता ? गोयमा ! से जहानामए अंके इ वा संखे इ वा चन्दें। ३ वा कुंदे इ वा दगे इ वा दगरए इ वा दहि इ वा दहियणे इ वा खीरे इ वा खीरपूरए इ वा सुक्कच्छिवाडिया इ वा पेहुणभिजिया इ वा घंतधोयरुप्पप? इ वा सारदबलाहए इ वा कुमुददले इ वा पोंडरीयदले इ वा सालिपिट्ठरासी इ वा कुडगपुप्फरासी इ वा सिंदुवारमल्लदामे इ वा सेयासोए इ वा सेय
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org