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लेश्या-कोश .५३ विभिन्न जीवों में कितनी लेश्या १ नारकियों में
(क) नेरियाणं भंते ! कइ लेस्साओ पन्नत्ता ? गोयमा ! तिन्नि ( लेस्साओपन्नत्ता ) तंजहा-कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काऊलेस्सा।
- पण्ण० प १७ । उ २ । सू १३ । पृ० ४३७८ (ख) नेरइयाणं तओ लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहा–कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काऊलेस्सा।
-ठाण स्था ३ । उ १ । सू १८१ । पृ० २०५ (ग) (तेसि णं भंते ! ( नेरइया) जीवाणं कइ लेस्सा पन्नत्ता ? गोयमा !) तिन्नि लेस्साओ (पन्नत्ताओ)।
-जीवा० प्रति १ । सू ३२ ।पृ० ११३ नारकी जीवों के तीन लेश्या होती हैं यथा-कृष्ण, नील तथा कापोतलेश्या। '२ रत्नप्रभा नारकी में
(क) इमीसेणं भन्ते ! रयणप्पभाएपुढवीए नेरइयाणं कइ लेस्साओ पन्नत्ताओ? गोयमा ! एगा काऊलेस्सा पन्नत्ता।
-जीवा० प्रति ३ । उ २। सूत्र ८८ । पृ० १४१
-भग० श १। उ ५ । प्र० १८० । पृ० ४००।१ रत्नप्रभा पृथ्वी के नारकी के एक कापोत लेश्या होती है।
(ख) ( रयणप्पभापुढविनेरइए णं भन्ते! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिए सु उववज्जित्तए ) तेसि णं भंते xx एगा काऊलेस्सा पन्नत्ता।
-भग० श २४ । उ २० । प्र५ । पृ० ८३८ तिर्यच पंचेन्द्रिय में उत्पन्न होने योग्य रत्नप्रभा नारकी में एक कापोत लेश्या होती है । •३ शर्कराप्रभा नारकी में एवं सक्करप्पभाएऽवि।
-जीवा० प्रति ३ । उ २ । सू ८८ । पृ० १४१ रत्नप्रभा नारकी की तरह शर्कराप्रभा नारकी में भी एक कापोतलेश्या होती है। (देखो ऊपर का पाठ ) '४ बालुकाप्रभा नारकी में
वालुयप्पभाए पुच्छा, गोयमा ! दो लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहा-नील
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