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लेश्या - कोश
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खेज्जगुणा एवं कण्हतेऊपम्हलेस्सठाणा, जहन्नगा सुक्कलेस्सठाणा पएसट्टाए असंखेज्जगुणा, जहन्नएहिंतो सुक्कलेस्सठाणेहिंतो पएसट्टयाए उक्कोसा काऊलेरसठाणा पट्टयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसगा नीललेस्सठाणा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हतेऊपम्हलेस्सठाणा, उक्कोसगा सुक्कलेस्सठाणा पएसठ्याए असंखेज्जगुणा । - पण्ण० प १७ | उ ४ । सू ५३ । पृ० ४५० सबसे कम जघन्य कापोतलेश्या स्थान द्रव्यार्थिक, जघन्य नीललेश्या द्रव्यार्थिक स्थान असंख्यात् गुण और इसी प्रकार क्रमशः कृष्ण, तेजो, पद्म तथा शुक्ललेश्या जघन्य द्रव्यार्थिक स्थान असंख्यात् गुण । जघन्य शुक्ललेश्या द्रव्यार्थिक स्थान से कापोत लेश्या का द्रव्यार्थिक उत्कृष्ट स्थान असंख्यात् गुण, उत्कृष्ट नीललेश्या द्रव्यार्थिक स्थान और इसी प्रकार क्रमशः कृष्ण, तेजो, पद्म और शुक्ललेश्या उत्कृष्ट द्रव्यार्थिक स्थान असंख्यात् गुण है । जैसा द्रव्यार्थिक स्थान कहा वैसा प्रदेशार्थिक स्थान कहना, केवल द्रव्यार्थिक जगह प्रदेशार्थिक कहना ।
द्रव्यार्थ प्रदेशार्थ - सबसे कम जघन्य कापोतलेश्या के द्रव्यार्थ स्थान, नीललेश्या जघन्य द्रव्यार्थ स्थान असंख्यात गुण, तथा क्रमशः इसी प्रकार कृष्ण, तेजो, पद्म और शुक्ल श्या के द्रव्यार्थ जघन्य स्थान असंख्यात् गुण | जघन्य शुक्ललेश्या द्रव्यार्थ स्थानों से उत्कृष्ट कापोतलेश्या द्रव्यार्थ स्थान असंख्यात् गुण, उत्कृष्ट नीललेश्या द्रव्यार्थ स्थान असंख्यात् गुण, और इसी प्रकार क्रमशः कृष्ण, तेजो, पद्म और शुक्ललेश्या उत्कृष्ट द्रव्यार्थ स्थान असंख्यात् गुण । शुक्ललेश्या उत्कृष्ट द्रव्यार्थ स्थान से जघन्य कापोतलेश्या प्रदेशार्थ स्थान अनन्तगुण है । जघन्य कापोतलेश्या प्रदेशार्थ स्थान से जघन्य नीललेश्या प्रदेशार्थ स्थान असंख्यात् गुण है, तथा इसी प्रकार कृष्ण, तेजो, पद्म और शुक्ललेश्या जघन्य प्रदेशार्थ स्थान असंख्यात् गुण हैं; जघन्य शुक्ललेश्या प्रदेशार्थ स्थान से उत्कृष्ट कापोतलेश्या प्रदेशार्थ स्थान असंख्यात् गुण, उससे नीललेश्या उत्कृष्ट प्रदेशार्थ स्थान असंख्यात् गुण और इसी प्रकार कृष्ण, तेजो, पद्म और शुक्ललेश्या उत्कृष्ट प्रदेशार्थ स्थान असंख्यात्
है
गुण
1
- ३ द्रव्यलेश्या ( विस्रसा अजीव - नोकर्म )
३.१ द्रव्यलेश्या नोकर्म के भेद ।
• १ दो भेद
नो कम्म दव्वलेसा पओगसा विससा उ नायव्वा ।
नोकर्म द्रव्यलेश्या के दो भेद प्रायोगिक तथा विस्वसा ।
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—उत्त० अ ३४ । नि० गा ५४२ । पूवार्ध
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