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लेश्या-कोश नीललेश्या कापोतलेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उस रूप, वर्ण, गंध, रस, स्पर्श में परिणत होती है । . नीललेश्या कृष्ण, कापोत, तेजो, पद्म, तथा शुक्ल लेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उनके रूप, वर्ण, गंध, रस और स्पर्श रूप परिणत होती है। १६.३ कापोत लेश्या का अन्य लेश्याओं में परस्पर परिणमन
(क) एवं एएणं अभिलावेणं xx काऊलेस्सा तेउलेस्सं पप्प xx जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ ।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । सू ३१ । पृ० ४४५ ___ (ख) काऊलेस्सा कण्हलेसं नीललेस्सं तेऊलेस्सं पम्हलेस्सं सुक्कलेस्सं पप्प xx जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ ? हंता गोयमा! तं चेव ।
-पण्ण० प १७ | उ ४ । सू ३३ । पृ० ४४६ कापोत लेश्या तेजो लेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उस रूप, वर्ण, गंध, रस और स्पर्श रूप परिणत होती है। ___कापोत लेश्या कृष्ण, नील, तेजो, पद्म और शुक्ल लेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उनके रूप, वर्ण, गंध, रस और स्पर्श रूप परिणत होती है। १६.४ तेजो लेश्या का अन्य लेश्याओं में परस्पर परिणमन
(क) एवं एएणं अभिलावेणं x x x तेऊलेस्सा पम्हलेस्सं पप्प xxx जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ ।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । सू० ३१ । पृ० ४४५ (ख) एवं तेऊलेस्सा कण्हलेसं नीललेस्सं काऊलेस्सं पम्हलेस्सं सुकलेस्सं पप्प xxx जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ ।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । सू ३३ पृ० ४४६ तेजोलेश्या पद्मलेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उसके रूप वर्ण, गंध, रस और स्पर्श परिणत होती है।
तेजो लेश्या कृष्ण, नील, कापोत, पद्म और शुक्ल लेश्या के द्रव्यों का संयोग पाकर उनके रूप, वर्ण, गंध, रस और स्पर्श रूप परिणत होती है। १६.५ पद्म लेश्या का अन्य लेश्याओं में परस्पर परिणमन
(क) एवं एएणं अभिलावेणं x x पम्हलेस्सा सुक्कलेस्सं पप्प जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ।
-पण्ण० प १७ । उ ४ । सू ३१ । पृ० ४४५
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