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लेश्या - कोश
२५.४ तपोलब्धि जन्य तेजोलेश्या में घात - भस्म करने की शक्ति ।
जावइए णं अज्जो ! गोसालेणं मंखलिपुत्तणं ममं बहाए सरीरगंसि तेये निस, सेणं अलाहि पज्जत्ते सोलसण्हं जणवयाणं, तं जहा - अंगाणं, गाणं, मगहाणं, मलयाणं, मालवागाणं, अच्छाणं, वच्छाणं, कोच्छाणं, पाढ़ाणं, लाढ़ाणं, वज्जाणं, मोलीणं, कासीर्ण, कोसलाणं, अत्राहाणं, सभुत्तराणं घायाए, वहाए, उच्छादणयाए, भासीकरणयाए ।
भग० श० १५ । पै० २३ । पृ० ७२६
भगवान महावीर ने श्रमण निग्रन्थों को बुलाकर कहा - हे आर्यों! मंखलिपुत्र गोशालक ने मुझे वध करने के लिये अपने शरीर से जो तेजोलेश्या निकाली थी वह अंग बंगादि १६ देशों का घात करने, वध करने, उच्छेद करने तथा भस्म करने में समर्थ थी ।
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इसके आगे के कथानक में गोशालक ने अपने शरीर से तेजोलेश्या को निकाल कर, फेंककर सर्वानुभूति तथा सुनक्षत्र अणगारों को भस्म कर दिया था । उसके पाठ इसी उद्देश में पैरा १६ तथा १७ में है ।
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- भग० श १५ । पै० १६, १७ । पृ० ७२४
२५.५ श्रमण निग्रन्थ की तेजोलेश्या तथा देवताओं की तेजोलेश्या ।
जे इमे भन्ते ! अज्जत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति एए णं कस्स तेऊलेस्सं वीइवयंति ? गोयमा ! मासपरियाए समणे निग्गंथे वाणमंतराणं देवाणं तेऊलेस्सं aises, दुमासपरियाए समणे निग्गंथे असुरिंदवज्जियाणं भवणवासीणं देवाण तेलेस्सं वीश्वयइ, एवं एए णं अभिलावेणं तिमासपरियाए समणे निग्गंथे असुरकुमाराणं देवाणं तेऊलेस्सं वीइवयइ, चउमासपरियाए समणे निग्गंथे गहगणनक्खत्ततारारूवाणं जोइसियाणं देवाणं तेऊलेस्सं वीश्वयइ, पंचमासपरियाए समणे निग्गंथे चंदिमसूरियाणं जोइसिंदाणं जोइसरायाणं तेऊलेस्सं वीश्वयइ, छम्मामा सपरियाए समणे निग्गंथे सोहम्मीसाणाणं देवाणं तेऊलेरसं वीश्वयइ, सत्तमा सपरियाए समणे निग्गंथे सणकुमारमाहिंदाणं देवाणं तेऊलेम्सं वीश्वयइ, अट्ठमासपरियाए समणे निग्गंथे बंभलोगलं गाणं देवाणं तेऊलेस्सं वीइवयइ, नवमासपरियाए समणे निम्गंथे महा सुक्कसहस्साराणं देवार्ण तेऊलेस्सं वीश्वयइ, दसमासपरियाए समणे निग्गंथे आणयपारणआरणच्चुयाणं देवाणं तेऊलेस्सं वीश्वयइ, एक्कारसमासपरियाए समणे निग्गंथे गेवेज्जगाणं देवाणं तेऊलेस्सं वीइवयइ, बारसमासपरियाए समणे निग्गंथे
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