________________ षष्ठ परिच्छेद :: साधु परमेष्ठी :: 188-246 (क) साधु शब्द का निर्वचन एवं व्याख्या . यथार्थ साधकः साधु, समतावान्ः साधु, निर्मोहीः साधु, स्ववालम्बीः साधु, निर्ग्रन्थीः साधु, नमस्करणीयः साधु, भिक्षुः साधु / (ख) साधु के लिए प्रयुक्त विशिष्ट शब्द - (1) माहन, (2) श्रमण, (3) भिक्षु, (4) निर्ग्रन्थ (ग) साधु की पात्रताः (अ) साधु दीक्षा में कुल, जाति एवं क्षेत्र की विशिष्टता, (आ) साधु-जिनमुद्रा के योग्य त्रिविध वर्ण / (घ) साधुत्व का धारण किस लिए? (क) दीक्षा गृहस्थ आश्रम से पलायन नही, (ख) साधु का ध्येय एक मात्र मुक्तिलाभ, (ग) दीक्षा ग्रहण- (अ) माता-पिता की अनुमति (ब) परिवार एवं सांसारिक विषय-भोगों का त्याग, (स) दीक्षागुरु, (द) दीक्षाविधि / (ङ) साधु के सत्ताईस गुण : श्वेताम्बर परम्परा - पंच महाव्रत पालन, पंचेन्द्रिय निग्रह, चतुर्विध कषाय विवेक, भावसत्य, करणसत्य, योगसत्य, क्षमा, वैराग्य, मनःसमाहरण, वचन समाहरण, काय समाहरण, रत्नत्रयसम्पन्नता, वेदना अधिसहन, मरणान्तिक अधिसहन; दिगम्बर परम्परा में अट्ठईस गुण - पांच महाव्रत, पांच समिति, पंचेन्द्रिय निरोध, षडावश्यक, केशलोंच, आचेलक्य, क्षितिशयन, अदन्तधावन, स्थितिभोज, अस्नान, एकभक्त / (च) साधु का आचार : (1) सामान्य साध्वाचार - (क) सामाचारी, (ख) साधु की दैनिक एवं रात्रिक चर्या, (ग) बाह्य उपकरण या उपधि : (अ) सामान्य उपकरण - रजोहरण, पात्र, वस्त्र, चौलपटक आसन, सदोरक-मुखवस्त्रिका, प्रमार्जिका, पात्रों के अंचल, भिक्षाधानी, माण्डलकवस्त्र, रजोहरण, दण्डावरक वस्त्र, ताण्डुलादिक जल को छानने का वस्त्र; (आ) विशेष उपकरण - (1) पीठ, (2) फलक, (3) संस्तारक, (4) शय्या; (इ) दिगम्बर साधु के उपकरण, (उ) विस्तृत या