________________ सिद्ध परमेष्ठी ___ इस तरह अनुजीवी गुणों की अपेक्षा तो अरहन्त और सिद्ध में कोई भेद है ही नहीं। यदि कोई भेद है तो वह उनके प्रतिजीवी गुणों की अपेक्षा ही माना जा सकता है किन्तु ये प्रति जीवी गुण आत्मा के भावस्वरूपधर्म नहीं होते। अतः इस दृष्टि से उनमें कोई भेद नहीं है, फिर भी इन दोनों में सलेपत्व और निर्लेपत्व तथा देश-भेद की अपेक्षा भेद समझना चाहिए।