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महावीरकालीन सामाजिक और राजनैतिक स्थिति
है, वे आर्य कहे जाते हैं तथा म्लेच्छ शब्द उन लोगों के लिए प्रयुक्त होता है, जिनके वचन (भाषा) और आचार अत्यन्त अस्पष्ट हों। दूसरे शब्दों में कहें तो जिनका संपूर्ण जीवन व्यवहार शिष्टतापूर्ण न हो, उन्हें म्लेच्छ समझना चाहिए । ये म्लेच्छ पश्चिमोत्तर भारत में पाये जाते थे और अक्का में मलक्खा के रूप में प्रचलित लोग मूल म्लेच्छ थे । म्लेच्छ कहलाने वाला हर विदेशी जाति-प्रथा एवं आनुष्ठानिक परिवेश से बिल्कुल बाहर रहता था, अतः ऐतिहासिक रूप से उनके साथ सम्पर्क को सवर्ण हिन्दू दूषण मानते थे । '
प्रश्नव्याकरण एवं प्रज्ञापना में म्लेच्छ मनुष्यों के शक, यवन, किरात आदि अनेकों प्रकार उल्लेखित हुए हैं (I. प्रश्नव्याकरण, I. 1. 21, II. प्रज्ञापना, 1.89 [15]) तथा इसमें मिलते-जुलते नाम प्रवचनसारोद्धार तथा उसकी वृत्ति में अनार्य नामों से उल्लेख हैं (I. प्रवचनसारोद्धार, 1583-85, II. प्रवचनसारोद्धारवृत्ति, पत्र 445- 2 [16])।
प्रज्ञापना में आर्यों के मूलतः दो प्रकार बताये गए हैं, ऋद्धि प्राप्त आर्य तथा दूसरा ऋद्धि अप्राप्त आर्य तथा उनके फिर अनेकों उपभेद बताये गए हैं ( प्रज्ञापना, 1.90-100, 111 [17]), जिन्हें निम्न चार्ट के माध्यम से समझा जा सकता हैआर्य मनुष्य जातियाँ
आर्य मनुष्य 1. ऋद्धि प्राप्त आर्य
2. ऋद्धि अप्राप्त आर्य
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भेद
अरहंत, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव, चरण, विद्य
1. क्षेत्रार्य
उपभेद
25 1/2 प्रकार के क्षेत्रार्य - i. मगध (देश), ii. राजगृह (नगर), अंग (देश) चम्पा (नगर) iii. बंग (तामूलक नगरी), iv. कलिंग (देश), कांचन और पुर में, v. काशी (देश) वाराणसी (नगरी), vi. कोशल (देश) साकेत (नगरी), vii. कुरु (देश), गजपुर ( हस्तिनापुर), viii. कुशान (देश), सौरीपुर, ix. पंचाल (देश) काम्पिल्य, x. जांगल (दश) अहिच्छत्रा नगरी, xi. सौराष्ट्र में द्वारवती ( द्वारिका), xii. विदेह ( जनपद में) मिथिला (नगरी), xiii. वत्स (देश) कौशाम्बी (नगरी), xiv. शाण्डिल्य (देश) नंदिपुर, xV. मलय (देश) भाद्दिलपुर, xvi. मत्स्य (देश), वैराट
1. भारत ज्ञानकोश, संपा. इंदू रामचंदानी, इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका (इंडिया), प्राइवेट लिमिटेड,
नई दिल्ली और पोपुलर प्रकाशन, मुम्बई, खण्ड-4, 2002, पृ. 449.