Book Title: Jain Agam Granthome Panchmatvad
Author(s): Vandana Mehta
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 391
________________ जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद सूत्रकृतांगसूत्र- संपा. जवाहरलाल महाराज, शीलांककृत टीका एवं हिन्दी अनुवाद सहित, राजकोट, वि. सं. 1993 ( = ई.सन् 1936). 354 - संपा. मुनि पुण्यविजयजी, भद्रबाहु नियुक्ति एवं चूर्णि सहित, खण्ड-1, प्रथम श्रुतस्कन्ध, प्राकृत ग्रन्थ परिषद्, अहमदाबाद, 1975. - संपा. युवाचार्य मिश्रीमलजी मूलपाठ - हिन्दी अनुवाद-विवेचन-टिप्पणयुक्त, श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, प्रथम - द्वितीय भाग, 1981. -प्रधान संपा. सुदर्शनलालजी महाराज, शीलांकाचार्यकृत संस्कृत टीका, हिन्दी अनुवाद, विस्तृत भूमिका सहित, टीकानुवाद - प्रियदर्शन मुनि एवं छगनलाल शास्त्री, श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी स्वाध्याय संघ, गुलाबपुरा, ( प्रथम श्रुतस्कंध ), 1999. सूत्रकृतांगचूर्णि–ऋषभदेव केसरीमल श्वेताम्बर संस्था, रतलाम, खण्ड-2, द्वितीय श्रुतस्कन्ध, 1941. -जिनदासगणी, सूर्यपुरीय श्री जैनानंद मुद्रणालय व्यापारयिता शाह मोहनलाल मगनलाल बदाम, 1941. ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र - संपा. युवाचार्य मिश्रीमलजी मूलपाठ - हिन्दी अनुवाद - विवेचनटिप्पण युक्त, श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर [प्रथम संस्करण, 1986], द्वितीय संस्करण वीर निर्वाण सम्वत्, 2516 (= ई.सन् 1989). ज्ञाताधर्मकथा ( नवांगी टीका ) - श्री सिद्धचक्र, साहित्य प्रचारक समिति, मुम्बई, 1952. ācārānga Sūtra-ed by H. Jacobi, PTS. London, 1882, Eng. trans. by H.Jacobi SBE, Oxford, Vol.-22, 1892, Reprinted by Motilal Banarasidass, Publishers, Delhi, 1964. –(1st śrutaskandha), ed. by W. S. Schubring, Leipzig, 1910. -English translation by Nathmal Tatia, Muni Dulaharaj and Mahendra Kumar, together with its Roman Transliteration and Bhasyam (Sanskrit Commentary) in 2001, JVBI, Ladnun. Antagadadasão and Anuttarovavāiyadasão-ed with Abhayadeva's comm. Bombay, 1920, Eng. trans. by L.D. Barnett, London, 1907.

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