Book Title: Jain Agam Granthome Panchmatvad
Author(s): Vandana Mehta
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 402
________________ ग्रन्थ पञ्जिका 365 (1) अन्य ग्रन्थ अर्थशास्त्र (कौटिल्यविरचित)-व्याख्याकार वाचस्पति गैरोला, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, चतुर्थ संस्करण, 2000. कादम्बरी (बाणभट्टविरचित)-संपा. मोहनदेवपन्त, भानुचन्द्र सिद्धचन्द्रगणिविरचितया संस्कृतटीकयासंवलिता हिन्दीभाषानुवादेनचालङ्कृता, मोतीलाल बनारसीदास, पब्लिशर्स, प्रा.लि., दिल्ली, पूर्वार्द्ध भाग, [प्रथम संस्करण, 1971], संशोधित संस्करण, 1996. कामसूत्र (वात्स्यायनविरचित)-संपा. देवदत्तशास्त्री, श्री यशोधर विरचित 'जयमंगला', व्याख्यासहित, चौखम्बा संस्कृत संस्थान, वाराणसी, तृतीय संस्करण, 1982. दशकुमारचरितम् (दण्डिविरचित)-टीकाकार विश्वनाथ झा, मोतीलाल बनारसीदास, पब्लिशर्स प्रा.लि., दिल्ली, [द्वितीय संस्करण, 1972], संशोधित संस्करण, 1991. हिन्दी कामसूत्र-संपा. श्री देवदत्त शास्त्री, जयमंगला टीका सहित, चौखम्भा संस्कृत संस्थान, वाराणसी, चतुर्थ संस्करण, 1992. Arthasastra of Kautilya-ed. by R. Shamasastri, Mysore, 1919. -ed. by J. Jally and R. Schmidt, 2 Vols., Lahore, 1923-24. -ed. with comm. Śrimüla by T. Ganapatī Śāstri,3 Vols. Trivandrum, 1924-25. - translated from the original Sanskrit and with an Introduction and Notes by Pratap Chandra Chunder, M.P. Birala Foundation, Research Publication, Calcutta, 1995.

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