Book Title: Jain Agam Granthome Panchmatvad
Author(s): Vandana Mehta
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 401
________________ जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद योगदर्शन (महर्षि पतंजलि विरचित) - संपा. श्रीराम शर्मा, संस्कृत संस्थान, बरैली, तीसरा संस्करण, 1969. 364 योगशास्त्र (हेमचन्द्राचार्य विरचित) - श्री निर्ग्रन्थ साहित्य प्रकाशन, दिल्ली, 1975. - अनुवादक मुनि पद्मविजयजी, संजय साहित्य प्रकाशन, जयपुर, 1975. वेदांतदर्शन (ब्रह्मसूत्र ) - व्याख्या. हरिकृष्णदास गोयंदका, मूल, सरल हिन्दी व्याख्या सहित, गीताप्रेस, गोरखपुर, उन्नीसवां संस्करण, वि.सं. 2053 (= ई. सन् 2001). षड्दर्शनसमुच्चय (हरिभद्रसूरि विरचित) - संपा. महेन्द्रकुमार जैन, गुणरत्नसूरिकृत तर्करहस्यदीपिका, सोमतिलकसूरिकृत लघुवृत्ति तथा अज्ञातकर्तृक अवचूर्णि सहित, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, दिल्ली, [प्रथम संस्करण, 1970], तृतीय संस्करण, 1989. स्याद्वादमंजरी (मल्लिषेणसूरि विरचित) - संपा. एवं हिन्दी अनुवादक - जगदीशचन्द्र जैन, परमश्रुत प्रभावक मंडल, आगास, गुजरात, तृतीय संस्करण, 1970. सर्वदर्शनसंग्रह (माधवाचार्यविरचित) - भाष्यकार उमाशंकर शर्मा, परिशिष्ट हिन्दी भाष्य सहित, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, [प्रथम संस्करण, 1964], तृतीय संस्करण, 1984. सांख्यसूत्रम् (कपिलमूनि विरचित) - संपा. रामशंकर भट्टाचार्य, भारतीय विद्या प्रकाशन, वाराणसी, वि.सं. 2022 [= ई. सन् 1965]. सांख्यकारिका (ईश्वरकृष्णविरचित) - संपा. ब्रजमोहन चतुर्वेदी, विस्तृत भूमिका, भाषानुवाद तथा अनुराधा संस्कृत हिन्दी व्याख्या सहित, नेशनल पब्लिशिंग हाऊस, दिल्ली, [प्रथम संस्करण, 1969 ], द्वितीय संस्करण, 1975. - व्याख्या. उमाकान्त शुक्ल, प्रियंवदा हिन्दी व्याख्या सहित, ज्ञान प्रकाशन, मेरठ, 1989.

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