Book Title: Jain Agam Granthome Panchmatvad
Author(s): Vandana Mehta
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 396
________________ ग्रन्थ पञ्जिका 359 मिलिन्दपञ्हपालि-विपश्यना विशोधन विन्यास, इगतपुरी, 1998. -संपा. द्वारिकादास शास्त्री, समीक्षात्मक भूमिका एवं हिन्दी रूपान्तर सहित, बौद्ध भारती, वाराणसी, तृतीय संस्करण, 2006. ललितविस्तर-संपा. पी.एल. वैद्य, मिथिलाविद्यापीठ प्रधानेन प्रकाशित, बौद्ध संस्कृत ग्रन्थावली-1, दरभंगा, 1958. विसुद्धिमग्ग-विपश्यना विशोधन विन्यास, इंगतपुरी, प्रथम-द्वितीय भाग, 1998. -संपा. द्वारिकादास शास्त्री, हिन्दी अनुवाद सहित, बौद्ध भारती, वाराणसी, प्रथम-द्वितीय-तृतीय भाग, 2005, 2002, 2006. सुत्तनिपात अट्ठकथा-विपश्यना विशोधन विन्यास, इगतपुरी, महाराष्ट्र, प्रथम-द्वितीय भाग, 1998. सुत्तनिपातपालि-संपा. द्वारिकादास शास्त्री, हिन्दी अनुवाद सहित, बौद्ध भारती, वाराणसी, 2005. संयुक्तनिकायपालि-संपा. द्वारिकादास शास्त्री, हिन्दी अनुवाद सहित, बौद्ध भारती, वाराणसी, भाग-1, सगाथवग्गो, भाग-2, निदानवग्गो, भाग-3, खन्धवग्गो, भाग-4, सलायतनवग्गो, भाग-5, महावग्गो, 2000. Anguttara Nikāya-ed. by R. Morris and E. Hardy PTS (Pali Text Society), London, 1885-1900. -Eng. trans. Pt.-I by E.R.J. Gooneratne, Galle, Ceylon, 1913. -Eng. trans. Pt.-II by A.D. Jayasundara (ed. by F.L. Woodward), Adyar, 1925. -Eng. trans. Vol.-I, II and V by F.L. Woodward, and Vol. III and IV by E.M. Hare PTS, London, 1932-36. Buddhavamsa-ed. by R. Morris, PTS, London, 1882. -Eng. trans. (The Minor Anthologies of the Pali Canon., PartIII) by B.C. Law PTS, London, 1938.

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