Book Title: Jain Agam Granthome Panchmatvad
Author(s): Vandana Mehta
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 389
________________ 352 जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद निशीथसूत्रम्-संपा. अमरमुनि महाराज एवं कन्हैयालालजी महाराज, जिनदास महत्तर विरचित विशेषचूर्णि समलंकृत, अमर पब्लिकेशन, वाराणसी-1, प्रथम-द्वितीय-तृतीय एवं चतुर्थ विभाग, 2005. प्रज्ञापनासूत्र-संपा. मधुकरमुनि, मूलपाठ हिन्दी अनुवाद, विवेचन, परिशिष्टयुक्त, श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, खण्ड-1 [प्रथम संस्करण, 1886], द्वितीय संस्करण, 1993, खण्ड-2, द्वितीय संस्करण, 1993, खण्ड-3 [प्रथम संस्करण, 1988], द्वितीय संस्करण, 1995. प्रश्नव्याकरणसूत्र-संपा. अमरमुनिजी महाराज, व्याख्याकार हेमचंद्र महाराज, मूल-अर्थ भावार्थ व्याख्या युक्त, सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा, 1978. प्रश्नव्याकरणसूत्र-शाह वेणीचन्द्र सुरचन्द्र द्वारा, अभयदेव टीका सहित, आगमोदय समिति, सुरत, 1918. पाक्षिकसूत्र-विवरण सहित, देवचन्द लालभाई जैन पुस्तकोद्धार, मुम्बई, 1911. भगवई विआहपण्णत्ति-संपा. एवं भाष्यकार आचार्य महाप्रज्ञ, मूलपाठ-संस्कृत छाया-हिन्दी अनुवाद-भाष्य तथा परिशिष्ट-शब्दानुक्रम आदि, जिनदास महत्तरकृत चूर्णि एवं अभयदेव सूरिकृत वृत्ति सहित, जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं, राजस्थान, खण्ड-1, 1994, जैन विश्वभारती, लाडनूं, राजस्थान, खण्ड-2, 2000, खण्ड-3, 2006, खण्ड-4, 2007. व्यवहारभाष्य-प्रधान संपा. आचार्य महाप्रज्ञ, संपा.-कुसुमप्रज्ञा, मूलपाठ, पाठान्तर, पाठान्तर विमर्श, नियुक्ति, विस्तृत भूमिका तथा विविध परिशिष्टों से समलंकृत, जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं, 1986. व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र-संपा. मधुकर मुनि, मूलपाठ हिन्दी अनुवाद-विवेचन टिप्पण युक्त, श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, खण्ड-1, 1981, खण्ड-2, 1983, खण्ड-3, 1984, खण्ड-4, 1984. -अभयदेववृत्तिसहित, श्रीजिनशासन आराधना ट्रस्ट, मुम्बई, भाग 1-3, वि.सं. 2049 (= 1993 ई.सन्). वियाहपण्णत्ति (भगवई)-अभयदेववृत्ति सहित, आगमोदय समिति, बम्बई, 1921. विपाकसूत्र-संपा. मधुकर मुनि, मूलपाठ, हिन्दी अनुवाद, विवेचन परिशिष्ट युक्त, श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, 1982.

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